जानें हस्तरेखा से भविष्य..!
जानें हस्तरेखा से भविष्य..!
लहरदार भाग्यरेखा
( मुसीबत-ही - मुसीबत )
यदि शनि रेखा लहरदार हो तो यह बतलाती है कि जातक के विचारों व कार्यों में लगातार बदलाव आता है एवं वह स्थायी तौर पर कोई कार्य नहीं कर पाता है।
यदि इस दृष्टांत में शनिरेखा विषम हो या अन्य प्रकार से दूषित भी हो तो जातक को यात्रा के दौरान कुछ मुसीबतों व कष्टों का सामना करना पड़ता है।
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ऐसे व्यक्ति की जन्मकुण्डली में कालसर्पयोग जरूर होता है।
ऐसे जातक को परिश्रम का फल नहीं मिलता।
आपके हस्तरेखा में शुक्र पर्वत भी बहुत उच्च है अतः आप बलवीर्य के स्वामी बहुत साहसी निर्भीक निडर इंसान होगे परंतु कामोतेजना पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है नही तो विवाह जल्द होने से ,किसी से प्रेम होने से कला संगीत सौंदर्य प्रेमी होने से कई प्रकार की समस्या आ सकती है
अतः उतावलापन से बचे, शक्ति बल को ध्यान में रखते हुए बौद्धिक ज्ञान का विकास करें, इससे आपको राजयोग सुख प्राप्त होने में देर नही लगेगी,
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क्योंकि शुक्र गुरु के उच्च होने से जातक भोग विलासिता की ओर अग्रसर हो जाता है,
परंतु जातक बहुत दुविधा में रहता है कि पढे या विवाह शादी करके सटल हो जायें,अतः मेरी आपको सलाह है शुक्र पर नियंत्रण रखें और अपने आप पर नियंत्रण रख कर शिक्षा ज्ञान विज्ञान पर ध्यान दें निश्चित ही आपके भाग्य का उदय चंद्र के कार्यकाल में हो रहा है
अतः 26 वर्ष में खुद ही सब कुछ आपके पास होगा, शुक्र पर्वत उच्च होने से जातक का स्वरुप बहुत सुंदर होता है, चेहरे पर तेज ओज चमक बनी रहती है, परंतु शुक्र ज्ञान को बाधित करता है, अतः उसको जरूर बैलेंस करें
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आपके भाग्य का उदय चंद्र पर्वत से हो रहा है अतः 16 वर्ष से ही उसका असर दिखना सुरु हो जायेगा, इस दौरान आपके पास मान सम्मान भूमि भवन वाहन सुख प्राप्त होगा,
आपके मष्तिष्क रेखा चंद्र पर्वत पर जाकर दो भागों में विभक्त है
अतः आपको तर्क कला का अच्छा ज्ञान होगा विषय वस्तु को समझने की अद्भुत क्षमता होगी, उसपर बात करने की पकड बहुत मजबूत होगी,
आपका चंद्र पर्वत भी उच्च है साथ ही हदय रेखा शनि गुरु के मध्य तक जाती है
अतः विवाह जल्द होगा, विवाह 24 वर्ष से 28 वर्ष के अन्दर होगा,
आपके हस्तरेखा में सूर्य पर्वत निम्न है
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अतः सूर्य का उपाय करें जिससे आपकी मान प्रतिष्ठा बढ़ेगी पिता से सदैव स्नेह बना रहेगा अन्यथा पिता से वैचारिक मतभेद बन सकते है गुप्त शत्रु से भी खतरा हो सकता है,
आपका शनि पर्वत सामान्य उच्च है और ह्दय रेखा भी वही पर आकर रूक रही है
अतः आपकी पत्नी तो बहुत सुंदर सभ्य सुशील होगी लेकिन कद लम्बा हो सकता है,
अर्थात आप से लम्बाई ज्यादा हो सकती है, साथ ही शनि मध्यम गति से चलने वाले ग्रह है अतः वैवाहिक जीवन को बहुत सम्हाल कर चलना होगा बैलेंस बना कर चलना होगा,
पत्नी घर परिवार को बहुत महत्व देगी सबके प्रति उसका समर्पण अच्छा रहेगा,
शनि वैवाहिक जीवन में स्लो मोशन बनाता है अतः 34 वर्ष तक विशेष ध्यान देने की जरूरत रहेगी,
आपका मंगल ग्रह बहुत अच्छा है अतः आपका जीवन प्रोफेशनल रहेगा उतावलापन से बचे,
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आपका राहु ग्रह कुछ खराब है अतः पारिवारिक विवाद वाहन से 28 वर्ष तक सावधान रहे,
आपका केतु पर्वत भी राहु को सपोर्ट कर रहा है अतः जिद पूर्ण कार्य करने से बचे आध्यात्मिक विचार रखे कुछ पूजा पाठ करें मंदिर जाये हनुमान जी की भक्ति करें हनुमान चालीसा का पाठ करें
इससे आपको एक अलौकिक चमत्कारिक ज्ञान प्राप्त होगा जिस ज्ञान से आप देश क्या विदेश से भी धनार्जन कर सकते है,
अतः आपको किसी गुप्त विद्या का रहस्य का औषधि का बहुत उत्तम ज्ञान प्राप्त होगा उसी से आप मान सम्मान समाजिक प्रतिष्ठा सुयश सर्वोच्च सम्मान प्राप्त करेंगे,
आपकी हस्तरेखा में अलौकिक चमत्कारिक रेखा जीवन रेखा से निकल कर शनि पर्वत पर जाती है, अतः आपको अचानक धन लाभ मिलने की, प्रबल संभावना है,
लेकिन कभी कभी जातक अपने मन का हर कार्य करने लगता है जिससे जातक से भूल बस गलत कार्य हो जाता है
अतः, स्व विवेक का सही इस्तेमाल करें, जिससे माता पिता कुल गौरव का स्वाभिमान सदैव अक्षुण्ण बना रहे,,,!
शुक्र पर्वत से प्रकट आकस्मिक रेखा भाग्यरेखा को काटती हुई
( घोर संकट )
यदि शुक्र पर्वत पर उदित प्रभाव रेखा में से कोई आकस्मिक रेखा प्रकट होकर शनिरेखा को काट दे तथा इसके बाद शनि रेखा छिन्न-भिन्न होती हुई टूटी-फूटी अवस्था को प्राप्त हो जाय तो प्रभाव रेखा के कारण ही जातक के जीवन में घोर संकट आयेगा।
यदि आप पता लगा सकें कि यह प्रभाव रेखा किस श्रेणी में है, कहां से अकस्मात यह रेखा उदित हुई है तो और अधिक स्पष्टीकरण मिल सकता है।
जीवनरेखा पर द्वीप एवं निम्नगामी रोमावली वाली भाग्यरेखा
( अशुभ संकेत )
यदि निम्नगामी रेखाओं से युक्त शनिरेखा के साथ जातक की जीवन रेखा पर एक द्वीप दिखलाई दे तो यह एक अशुभ संकेत है। ऐसे में खराब स्वास्थ्य के कारण जातक को शनिरेखा का पूर्णफल नहीं मिल पायेगा।
रोमावली युक्त भाग्यरेखा
( महत्त्वाकांक्षाएं सफल होंगी )
कई बार शनिरेखा पर यह भी दिखलाई देता है कि बहुत-सी छोटी-छोटी बारीक रेखाएं उससे निकलकर नीचे की ओर झुकती हुई अथवा ऊपर की ओर उठती हुई भी दिखलाई देती हैं।
ऊपर की ओर उठने वाली रेखा जातक की महत्त्वाकांक्षा और उसके आगे बढ़ने के मार्ग को प्रशस्त करती है जिसके कारण शनिरेखा को बल मिलता है।
ऐसी रेखा जब भी उदित होती है तो जातक का जीवन आशा से भर जाता है तथा जातक सफलता की ओर दो कदम आगे बढ़ता है।
इसके विपरीत निम्नगामी रेखाओं के काल में जातक का कठिन समय होता है तथा निराशा एवं आत्मविश्वास की कमी के कारण जातक की उन्नति रुक जाती है।
मैंने ऐसा भी अनुभव किया है कि निम्नगामी एवं ऊर्ध्वगामी इन रेखाओं के काल में जातक के स्वास्थ्य में भी अनुकूल एवं प्रतिकूल परिवर्तन आते हैं।
जब ऊर्ध्व रेखाएं प्रकट होती हैं जातक का शारीरिक उत्कर्ष भी उत्तमता की ओर होता है तथा जातक का स्वास्थ्य ठीक होने से वह ज्यादा काम कर पाता है।
मस्तिष्करेखा पर रुकी हुई भाग्यरेखा
( कठोर परिश्रम के अलावा कोई विकल्प नहीं )
यदि शनिरेखा प्रारम्भ में गहरी व अच्छा उठाव लिये हुए हो, परन्तु मस्तिष्करेखा तक पहुंचकर रुक जाये, तो ऐसे जातक का प्रारम्भिक जीवन खासकर 30 वर्ष तक श्रेष्ठ रहता है, परन्तु इसके बाद अपने कार्य - क्षेत्र के चुनाव में गलत निर्णय के कारण जातक को केवल अपने कठोर परिश्रम पर ही विश्वास करना चाहिये तथा भाग्योदय के अवसरों ( अथवा अचानक धनवान बनने के दिवास्वप्न ) पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिये।
जब तक कि यह रेखा आगे न बढ़े, जातक को यह समझ लेना चाहिये कि उसके जीवन का उत्कृष्ट समय जा चुका है तथा अब तो कठोर परिश्रम के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं बचा है।
पंडारामा प्रभु राज्यगुरु
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