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Sunday, June 22, 2025

जानें हस्तरेखा से भविष्य..!

जानें हस्तरेखा से भविष्य..!

जानें हस्तरेखा से भविष्य..!

लहरदार भाग्यरेखा


( मुसीबत-ही - मुसीबत )


यदि शनि रेखा लहरदार हो तो यह बतलाती है कि जातक के विचारों व कार्यों में लगातार बदलाव आता है एवं वह स्थायी तौर पर कोई कार्य नहीं कर पाता है। 

यदि इस दृष्टांत में शनिरेखा विषम हो या अन्य प्रकार से दूषित भी हो तो जातक को यात्रा के दौरान कुछ मुसीबतों व कष्टों का सामना करना पड़ता है।




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ऐसे व्यक्ति की जन्मकुण्डली में कालसर्पयोग जरूर होता है। 

ऐसे जातक को परिश्रम का फल नहीं मिलता।


आपके हस्तरेखा में शुक्र पर्वत भी बहुत उच्च है अतः आप बलवीर्य के स्वामी बहुत साहसी निर्भीक निडर इंसान होगे परंतु कामोतेजना पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है नही तो विवाह जल्द होने से ,किसी से प्रेम होने से कला संगीत सौंदर्य प्रेमी होने से कई प्रकार की समस्या आ सकती है 

अतः उतावलापन से बचे, शक्ति बल को ध्यान में रखते हुए बौद्धिक ज्ञान का विकास करें, इससे आपको राजयोग सुख प्राप्त होने में देर नही लगेगी, 




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क्योंकि शुक्र गुरु के उच्च होने से जातक भोग विलासिता की ओर अग्रसर हो जाता है, 

परंतु जातक बहुत दुविधा में रहता है कि पढे या विवाह शादी करके सटल हो जायें,अतः मेरी आपको सलाह है शुक्र पर नियंत्रण रखें और अपने आप पर नियंत्रण रख कर शिक्षा ज्ञान विज्ञान पर ध्यान दें निश्चित ही आपके भाग्य का उदय चंद्र के कार्यकाल में हो रहा है 

अतः 26 वर्ष में खुद ही सब कुछ आपके पास होगा, शुक्र पर्वत उच्च होने से जातक का स्वरुप बहुत सुंदर होता है, चेहरे पर तेज ओज चमक बनी रहती है, परंतु शुक्र ज्ञान को बाधित करता है, अतः उसको जरूर बैलेंस करें





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आपके भाग्य का उदय चंद्र पर्वत से हो रहा है अतः 16 वर्ष से ही उसका असर दिखना सुरु हो जायेगा, इस दौरान आपके पास मान सम्मान भूमि भवन वाहन सुख प्राप्त होगा,

आपके मष्तिष्क रेखा चंद्र पर्वत पर जाकर दो भागों में विभक्त है 

अतः आपको तर्क कला का अच्छा ज्ञान होगा विषय वस्तु को समझने की अद्भुत क्षमता होगी, उसपर बात करने की पकड बहुत मजबूत होगी,

आपका चंद्र पर्वत भी उच्च है साथ ही हदय रेखा शनि गुरु के मध्य तक जाती है 

अतः विवाह जल्द होगा, विवाह 24 वर्ष से 28 वर्ष के अन्दर होगा,

आपके हस्तरेखा में सूर्य पर्वत निम्न है 






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अतः सूर्य का उपाय करें जिससे आपकी मान प्रतिष्ठा बढ़ेगी पिता से सदैव स्नेह बना रहेगा अन्यथा पिता से वैचारिक मतभेद बन सकते है गुप्त शत्रु से भी खतरा हो सकता है,

आपका शनि पर्वत सामान्य उच्च है और ह्दय रेखा भी वही पर आकर रूक रही है 

अतः आपकी पत्नी तो बहुत सुंदर सभ्य सुशील होगी लेकिन कद लम्बा हो सकता है, 

अर्थात आप से लम्बाई ज्यादा हो सकती है, साथ ही शनि मध्यम गति से चलने वाले ग्रह है अतः वैवाहिक जीवन को बहुत सम्हाल कर चलना होगा बैलेंस बना कर चलना होगा, 

पत्नी घर परिवार  को बहुत महत्व देगी सबके प्रति उसका समर्पण अच्छा रहेगा,

शनि वैवाहिक जीवन में स्लो मोशन बनाता है अतः 34 वर्ष तक विशेष ध्यान देने की जरूरत रहेगी,

आपका मंगल ग्रह बहुत अच्छा है अतः आपका जीवन प्रोफेशनल रहेगा उतावलापन से बचे,






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आपका राहु ग्रह कुछ खराब है अतः पारिवारिक विवाद वाहन से 28 वर्ष तक सावधान रहे,

आपका केतु पर्वत भी राहु को सपोर्ट कर रहा है अतः जिद पूर्ण कार्य करने से बचे आध्यात्मिक विचार रखे कुछ पूजा पाठ करें मंदिर जाये हनुमान जी की भक्ति करें हनुमान चालीसा का पाठ करें 

इससे आपको एक अलौकिक चमत्कारिक ज्ञान प्राप्त होगा जिस ज्ञान से आप देश क्या विदेश से भी धनार्जन कर सकते है, 

अतः आपको किसी गुप्त विद्या का रहस्य का औषधि का बहुत उत्तम ज्ञान प्राप्त होगा उसी से आप मान सम्मान समाजिक प्रतिष्ठा सुयश सर्वोच्च सम्मान प्राप्त करेंगे,

आपकी हस्तरेखा में अलौकिक चमत्कारिक रेखा जीवन रेखा से निकल कर शनि पर्वत पर जाती है, अतः आपको अचानक धन लाभ मिलने की, प्रबल संभावना है, 

लेकिन कभी कभी जातक अपने मन का हर कार्य करने लगता है जिससे जातक से भूल बस गलत कार्य हो जाता है 

अतः, स्व विवेक का सही इस्तेमाल करें, जिससे माता पिता कुल गौरव का स्वाभिमान सदैव अक्षुण्ण बना रहे,,,!


शुक्र पर्वत से प्रकट आकस्मिक रेखा भाग्यरेखा को काटती हुई

( घोर संकट )

यदि शुक्र पर्वत पर उदित प्रभाव रेखा में से कोई आकस्मिक रेखा प्रकट होकर शनिरेखा को काट दे तथा इसके बाद शनि रेखा छिन्न-भिन्न होती हुई टूटी-फूटी अवस्था को प्राप्त हो जाय तो प्रभाव रेखा के कारण ही जातक के जीवन में घोर संकट आयेगा। 

यदि आप पता लगा सकें कि यह प्रभाव रेखा किस श्रेणी में है, कहां से अकस्मात यह रेखा उदित हुई है तो और अधिक स्पष्टीकरण मिल सकता है।

जीवनरेखा पर द्वीप एवं निम्नगामी रोमावली वाली भाग्यरेखा

( अशुभ संकेत )

यदि निम्नगामी रेखाओं से युक्त शनिरेखा के साथ जातक की जीवन रेखा पर एक द्वीप दिखलाई दे तो यह एक अशुभ संकेत है। ऐसे में खराब स्वास्थ्य के कारण जातक को शनिरेखा का पूर्णफल नहीं मिल पायेगा।

रोमावली युक्त भाग्यरेखा

( महत्त्वाकांक्षाएं सफल होंगी )

कई बार शनिरेखा पर यह भी दिखलाई देता है कि बहुत-सी छोटी-छोटी बारीक रेखाएं उससे निकलकर नीचे की ओर झुकती हुई अथवा ऊपर की ओर उठती हुई भी दिखलाई देती हैं। 

ऊपर की ओर उठने वाली रेखा जातक की महत्त्वाकांक्षा और उसके आगे बढ़ने के मार्ग को प्रशस्त करती है जिसके कारण शनिरेखा को बल मिलता है। 

ऐसी रेखा जब भी उदित होती है तो जातक का जीवन आशा से भर जाता है तथा जातक सफलता की ओर दो कदम आगे बढ़ता है। 

इसके विपरीत निम्नगामी रेखाओं के काल में जातक का कठिन समय होता है तथा निराशा एवं आत्मविश्वास की कमी के कारण जातक की उन्नति रुक जाती है। 

मैंने ऐसा भी अनुभव किया है कि निम्नगामी एवं ऊर्ध्वगामी इन रेखाओं के काल में जातक के स्वास्थ्य में भी अनुकूल एवं प्रतिकूल परिवर्तन आते हैं। 

जब ऊर्ध्व रेखाएं प्रकट होती हैं जातक का शारीरिक उत्कर्ष भी उत्तमता की ओर होता है तथा जातक का स्वास्थ्य ठीक होने से वह ज्यादा काम कर पाता है।


मस्तिष्करेखा पर रुकी हुई भाग्यरेखा

( कठोर परिश्रम के अलावा कोई विकल्प नहीं )

यदि शनिरेखा प्रारम्भ में गहरी व अच्छा उठाव लिये हुए हो, परन्तु मस्तिष्करेखा तक पहुंचकर रुक जाये, तो ऐसे जातक का प्रारम्भिक जीवन खासकर 30 वर्ष तक श्रेष्ठ रहता है, परन्तु इसके बाद अपने कार्य - क्षेत्र के चुनाव में गलत निर्णय के कारण जातक को केवल अपने कठोर परिश्रम पर ही विश्वास करना चाहिये तथा भाग्योदय के अवसरों ( अथवा अचानक धनवान बनने के दिवास्वप्न  ) पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिये। 

जब तक कि यह रेखा आगे न बढ़े, जातक को यह समझ लेना चाहिये कि उसके जीवन का उत्कृष्ट समय जा चुका है तथा अब तो कठोर परिश्रम के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं बचा है।

पंडारामा प्रभु राज्यगुरु

Tuesday, June 17, 2025

जानें हस्तरेखा से भविष्य :

जानें हस्तरेखा से भविष्य :

जानें हस्तरेखा से भविष्य :


भाग्यरेखा पर टूटन या टूटी-फूटी भाग्यरेखा 

( आमूलचूल परिवर्तन )


शनिरेखा पर टूटन सबसे खराब मानी गई है। 

जिस अवस्था में शनिरेखा पर टूटन दिखलाई पड़े, उस समय जातक का व्यक्तित्व भारी रूप से प्रभावित होता है। 

ऐसे में यदि रेखा अपना रुख बदल दे, नये बदलाव के साथ प्रारम्भ हो अथवा बिलकुल ही प्रारम्भ न हो तो ये टूटन जातक के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाती है। 

यदि शनिरेखा में लगातार टूटन हो तो जातक के विकास में, उन्नति के मार्ग में लगातार प्रतिकूल परिवर्तन आते हैं और उसका जीवन श्रमपूर्ण एवं कष्टमय हो जाता है। 

स्मरण रहे कि प्रत्येक टूटन अलग-अलग दुर्भाग्य को आमन्त्रित करती है। 

यदि टूटन के बीच का भाग लम्बा है तो दुर्भाग्य, काल लम्बा है और टूटन छोटी है तो अवधि छोटी है। 

टूटन की क्षतिपूर्ति यदि अन्य रेखाओं द्वारा हो गई है तो दुर्भाग्य के दौरान जातक को राहत मिल जायेगी। 

उसका नुकसान नहीं होगा। 

शनिरेखा की गणना करके उपर्युक्त काल का परिमापन किया जा सकता है।




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भाग्यरेखा पर आड़ी रेखाएं :

( व्यक्तित्व विकास में बाधा )


शनिरेखा पर उदित आड़ी रेखाएं जातक के व्यक्तित्व विकास में बाधा डालती हैं। 

प्रत्येक आड़ी रेखा अपने-आपमें एक स्वतन्त्र व्यवधान है। 

रेखा की गहराई व्यवधान की गम्भीरता को बतलाती है। 

यदि आड़ी रेखाएं हलकी हैं और शनिरेखा को ज्यादा गहराई से नहीं काटतीं, केवल ऊपर से निकलती मात्र हैं तो ये विकास में लगातार छेड़छाड़ व हलके विघ्न को ही बतलाती हैं।


यदि ये आड़ी रेखाएं शनिरेखा को दो भागों में ही विभक्त कर दें तब तो बहुत बड़ी चुनौती सामने आयेगी जो जातक की सफलता की उम्मीद को ही तोड़ देगी। 

जीवन में ऐसा कुअवसर कब आयेगा, इसका पता शनिरेखा की गणना के माध्यम से चल सकता है। घटना की गम्भीरता का पता रेखा की गहराई बतायेगी। 

घटना के कारणों का पता दूसरी रेखाएं व चिह्नों से चलेगा। 

घटनाओं का परिणाम क्या होगा, इसका पता शनिरेखा के अन्त (अन्तिम स्थल ) से चलेगा।


भाग्यरेखा प्रारम्भ में जंजीराकृति, शुक्र स्थल पर सितारा, मस्तिष्करेखा पर द्वीप, जीवनरेखा से अन्य रेखा का उदय




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( माता - पिता की मृत्यु से परेशानी )

उपर्युक्त परिस्थितियों की तरह शनिरेखा प्रारम्भ में विकृत हो तथा प्रभाव रेखा के अन्त में एक सितारा हो, जहां सितारा हो वहीं से जीवनरेखा में से एक शाखा भी निकल रही हो, जो एक आकस्मिक रेखा तक पहुंचे और मस्तिष्क रेखा पर उस जगह एक द्वीप हो। 

इन परिस्थितियों में जातक के माता-पिता की मृत्यु ने उसके ( जातक के ) उठान को रोका है और जातक मानसिक रूप से काफी परेशान भी उस अवस्था में रहा है।



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भाग्यरेखा प्रारम्भ में जंजीराकृति व शुक्रस्थल पर सितारा

( बचपन में कष्ट )


शनिरेखा का प्रारम्भिक अवस्था में विकृत होना बचपन में ही मुसीबतों को बतलाता है। 

यदि शनिरेखा प्रारम्भ में ही श्रृंखलाकार हो तथा शुक्र स्थल पर एक प्रभाव रेखा दिखलाई पड़े जिसके अन्त में सितारा हो तो जातक के माता-पिता बचपन में ही गुजर जाते हैं जिसके कारण जातक का भविष्य छोटी आयु में ही अन्धकारमय हो जाता है। 

जिस उम्र में माता-पिता की मृत्यु होगी या हुई है, यह तो प्रभाव रेखा पर दिखाई देने वाले सितारे की दूरी के समकक्ष जीवनरेखा को चिह्नित करके नापी जा सकती है। 

जातक के जीवन में सुखद समय की कब शुरुआत होगी, यह शनिरेखा की सही स्थिति को चिह्नित करके बतलाया जा सकता है।




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जब प्रारम्भ में जंजीराकृति पर बाद में उत्तम हो भाग्यरेखा

(गंभीर रुकावटें)


शनिरेखा पर उपस्थित सभी प्रकार के दोष एवं विकारों का सूक्ष्म अध्ययन करना जरूरी है, क्योंकि ये बतलायेंगे कि व्यक्ति के जीवन में किस प्रकार की बाधाएं, विघ्न व रुकावटें सम्भावित हैं तथा वे रुकावटें कितनी हद तक गम्भीर हैं। 

हथेली के अन्य भागों में इन दोषों का सन्दर्भ ढूंढ़ा जा सकता है तथा समझदारी के द्वारा इन दोषों का उपाय व समाधान भी किया जा सकता है तथा शनिरेखा पर ज्यादातर दोष प्रारम्भ में ही पाये जाते हैं; क्योंकि प्रारम्भिक काल बचपन को ही उ‌द्घाटित करता है। 

ज्यादातर बच्चे बचपन में इतने मेधावी नहीं होते कि उनकी कुछ उपलब्धियां उल्लेखित हो जायें। 

बचपन की अवस्था ( प्रारम्भिक काल ) में शनिरेखा का दूषित पाया जाना बाल्यावस्था की बीमारी या माता-पिता की मृत्यु, उनके आर्थिक पक्ष में दीवालियापन, बच्चे के विकास में बाधक हो सकती है। 

बच्चे का माता-पिता से पृथक रहना, उसके बहुत दूर हॉस्टल या ऐसी स्थिति में रहना जिससे वह अपने-आपको दुःखी व बेचैन महसूस करता हो। 

ऐसे अनेक कारण बच्चे के सही विकास में बाधा का कार्य कर सकते हैं।




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जंजीराकृति भाग्यरेखा

( भाग्योदय में रुकावटें )


श्रृंखलाकार शनिरेखा बतलाती है कि जातक के विकास में बहुत-सी रुकावटें हैं। 

यदि यह द्वीपाकार श्रृंखला रेखा की सम्पूर्ण लम्बाई तक विद्यमान है तो जातक कठोर परिश्रमपूर्वक जीवन जीयेगा। 

तथा जीवन में अनेक दिक्कतों व निराशाजनक स्थितियों से सामना करना पड़ेगा। 

यदि श्रृंखला कुछ दूरी तक ही है तो आगे चलकर सुधरेगा।




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भाग्यरेखा का उठान मस्तिष्करेखा के बाद

( भाग्योदय देरी से )


भाग्यरेखा जब मस्तिष्करेखा के बाद उदय होती हुई दिखलाई दे तो जातक का भाग्योदय 36 वर्ष की आयु के बाद होता है। व्यक्ति नये कार्यों के द्वारा उन्नति की ओर बढ़ता है।


मुख्य भाग्यरेखा न होने पर इस भाग्यरेखा के प्रारम्भ होने की आयु से कई बार 45 वर्ष की आयु से व्यक्ति का अचानक भाग्योदय हो जाता है। 

ऐसे जातक का प्रारम्भिक जीवन भले ही संघर्षपूर्ण रहा हो पर इस आयु में उसे प्रत्येक कार्य में लगातार सफलता मिलनी प्रारम्भ हो जाती है। 

घर में, जाति में, समाज में अचानक प्रतिष्ठा बढ़ती है। जातक उदार मनोवृत्ति वाला हो जाता है तथा उसके सौहार्दपूर्ण व्यवहार से सभी प्रभावित होने लगते हैं।




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भाग्यरेखा हथेली के मध्य भाग से प्रभाव रेखा के अन्त में सितारा

(भाग्योदय में देरी)


शनिरेखा हथेली के मध्य भाग से स्पष्टतः उठती हुई दिखलाई दे रही है, कोई अन्य अशुभ रेखा हाथ में नहीं है; परन्तु पैतृक प्रभाव से रेखा का अन्त एक सितारे से होता हुआ दिखलाई दे तो जातक के माता-पिता की मृत्यु बचपन में ही हो जाती है, जिसके कारण जातक का भाग्योदय सही समय पर नहीं हो सकता और भाग्यरेखा हथेली के मध्य पर प्रकट हुई। 

स्मरण रखें, शनिरेखा पर दिखलाई देने वाले सभी संकेत जातक के आर्थिक पहलुओं को स्पष्ट करते हैं। इसके बाद शनि रेखा की बनावट व आकार-प्रकार पर ध्यान देना चाहिये। 

यदि रेखा लम्बी तथा गहरी नहीं, अर्थात दूसरी रेखाओं की तुलना में गहरी नहीं है तो समझें कि शनिरेखा उतनी शक्तिशाली नहीं है, जितनी होनी चाहिये।




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शनिरेखा हथेली के मध्य भाग से एवं मस्तिष्करेखा विकृत

(सही सोच से भाग्योदय)


यदि शनिरेखा हथेली के मध्य भाग से शुरू होती है और मस्तिष्क रेखा अपनी प्रारम्भिक अवस्था में विकृत हो तो जातक का जो कार्य मस्तिष्क की कमजोरी के कारण रुका हुआ था वह जहां मस्तिष्क रेखा ठीक अवस्था को प्राप्त होगी उसी बिन्दु से जातक का भाग्योदय प्रारम्भ होगा।


हथेली के मध्य भाग से प्रारम्भ भाग्यरेखा एवं क्षीण आयुरेखा

( व्यापार - व्यवसाय में उन्नति )


मान लीजिये प्रारम्भ में शनिरेखा अदृश्य है तो उस काल में जीवनरेखा भी पतली या नाजुक होगी। 

तब आपको पता चल जायेगा कि इस जातक ने प्रारम्भिक काल में कम काम किया क्योंकि उसका स्वास्थ्य नाजुक था। 

ज्यों ही शनिरेखा का प्रभाव शुरू होगा, जीवनरेखा की नाजुकता समाप्त हो जायेगी तथा वहीं से जीवन में उपलब्धियों का उत्पादन शुरू होगा। 

यदि जीवनरेखा क्षीण ( पतली ) है तो जहां से जीवनरेखा पुनः गहरी व स्पष्ट होना प्रारम्भ होती है और शनिरेखा की भी यही स्थिति हो तो यही वह बिन्दु है जहां से जातक का व्यापार व्यवसाय उन्नति के शिखर की ओर अग्रसर होगा तथा जातक में कार्य करने की विशेष शक्ति भी बढ़ेगी। 

यहां यह स्मरण रखना जरूरी है कि शनि रेखा की आयु गणना नीचे से प्रारम्भ होती है तथा जीवनरेखा की गणना ऊपर से प्रारम्भ होती है।

पंडारामा प्रभु राज्यगुरु  


जानें हस्तरेखा से भविष्य..!

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