अंक ज्योतिष, ज्योतिष शास्त्र की तरह ही एक ऐसा विज्ञान है जिसमें अंकों की मदद से व्यक्ति के भविष्य के बारे में जानकारी दी जाती है। हिंदी में इसकी गूढ़ विद्या को अंक शास्त्र और अंग्रेजी में न्यूमेरोलॉजी कहते हैं।
अंक ज्योतिष में खासतौर से गणित के कुछ नियमों का प्रयोग कर व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं का आकलन कर उनके आने वाली जिंदगी के बारे में भविष्यवाणी की जाती है।
अंक ज्योतिष में जातक की जन्म तिथि के आधार पर मूलांक निकालकर उसके भविष्य फल की गणना की जाती है।
अंक ज्योतिष क्या है :
अंक ज्योतिष वास्तव में अंकों और ज्योतिषीय तथ्यों का मेल कहलाता है।
अर्थात अंकों का ज्योतिषीय तथ्यों के साथ मेल करके व्यक्ति के भविष्य की जानकारी देना ही अंक ज्योतिष कहलाती है।
जैसे कि आप सभी इस बात से भली भाँती अवगत होंगें कि अंक 1 से 9 होते हैं। इसके साथ ही ज्योतिष शास्त्र मुख्य रूप से तीन मुख्य तत्वों पर आधारित होते हैं: ग्रह, राशि और नक्षत्र।
लिहाजा अंक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का मिलान सभी नौ ग्रहों, बारह राशियां और 27 नक्षत्रों के आधार पर किया जाता है।
वैसे देखा जाए तो व्यक्ति के अमूमन सभी कार्य अंकों के आधार पर ही किये जाते हैं।
अंक के द्वारा ही साल, महीना, दिन, घंटा, मिनट और सेकंड जैसी आवश्यक चीजों को व्यक्त किया जाता है।
अंक ज्योतिष का इतिहास :
हाँ तक अंक ज्योतिष के इतिहास की बात है तो आपको बता दें कि इसका प्रयोग मिस्र में आज से तक़रीबन 10,000 वर्ष पूर्व से किया जाता आ रहा है।
मिस्र के मशहूर गणितज्ञ पाइथागोरस ने सबसे पहले अंको के महत्व के बारे में दुनिया को बताया था।
उन्होनें कहा था कि “अंक ही ब्रह्मांड पर राज करते हैं।”
अर्थात अंकों का ही महत्व संसार में सबसे ज्यादा है।
प्राचीन काल में अंक शास्त्र की जानकारी खासतौर से भारतीय, ग्रीक, मिस्र, हिब्रु और चीनियों को थी।
भारत में प्रचीन ग्रंथ “स्वरोदम शास्त्र” के ज़रिये अंक शास्त्र के विशेष उपयोग के बारे में बताया गया है।
प्राचीन क़ालीन साक्ष्यों और अंक शास्त्र के विद्वानों की माने तो, इस विशिष्ट शास्त्र का प्रारंभ हिब्रु मूलाक्षरों से हुआ था।
उस वक़्त अंक ज्योतिष विशेष रूप से हिब्रु भाषी लोगों का ही विषय हुआ करता था।
साक्ष्यों की माने तो दुनियाभर में अंक शास्त्र को विकसित करने में मिस्र की जिप्सी जनजाति का सबसे अहम योगदान रहा है।
अंक ज्योतिष का प्रयोग क्यों क्या जाता है :
अंक ज्योतिष का प्रयोग विशेष रूप से अंकों के माध्यम से व्यक्ति के भविष्य की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाती है।
1 से 9 तक के प्रत्येक अंकों को 9 ग्रहों का प्रतिरूप माना जाता है, इसके आधार पर ही ये जानकारी प्राप्त की जाती है कि किस ग्रह पर किस अंक का असर है।
जातक के जन्म के बाद ग्रहों की स्थिति के आधार पर ही उसके व्यक्तित्व की जानकारी प्राप्त की जाती है।
जन्म के दौरान ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही जातक का व्यक्तित्व निर्धारित होता है।
प्रत्येक व्यक्ति के जन्म के समय एक प्राथमिक और एक द्वितीयक ग्रह उस पर शासन करता है।
इस लिए, जन्म के बाद जातक पर उस अंक का प्रभाव सबसे अधिक होता है, और यही अंक उसका स्वामी कहलाता है।
व्यक्ति के अंदर मौजूद सभी गुण जैसे की उसकी सोच, तर्क शक्ति, दर्शन, इच्छा, द्वेष, स्वास्थ्य और करियर आदि अंक शास्त्र के अंकों और उसके साथी ग्रह से प्रभावित होते हैं।
ऐसा माना जाता है कि यदि दो व्यक्तियों का मूलांक एक ही हो तो दोनों के बीच परस्पर तालमेल अच्छा होता है।
अंकशास्त्र का महत्व :
ज्योतिषशास्त्र की तरह ही अंक शास्त्र का भी महत्व ज्यादा होता है।
इस विशेष विद्या के ज़रिये व्यक्ति के भविष्य से जुड़ी जानकारी को हासिल किया जा सकता है।
अंक ज्योतिष या अंक शास्त्र की मदद से किसी व्यक्ति में विधमान गुण, अवगुण, व्यवहार और विशेषताओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
इसके माध्यम से शादी से पहले भावी पति पत्नी का मूलांक निकालकर उनके गुणों का मिलान भी किया जा सकता है।
आजकल देखा गया है कि अंकशास्त्र का प्रयोग वास्तुशास्त्र में भी करते हैं।
नए घर का निर्माण करते वक़्त सभी अंकों का भी विशेष ध्यान रखा जाता है।
उदाहरण स्वरूप घर में कितनी सीढ़ियां होनी चाहिए, कितनी खिड़कियाँ और दरवाज़े होनी चाहिए इसका निर्धारण अंक शास्त्र के माध्यम से ही किया जाता है।
इसके साथ ही सफलता प्राप्ति के लिए भी लोग इस विद्या का प्रयोग कर अपने नाम की स्पेलिंग में भी परिवर्तन कर रहे हैं।
जैसे कि फिल्म जगत की बात करें तो मशहूर निर्माता निर्देशक करण जौहर से लेकर एकता कपूर तक सभी ने अंक शास्त्र की मदद से अपना भाग्योदय किया है।
मूलांक का अंक ज्योतिष में महत्व :
मूलांक में मुख्य रूप से अंकों का प्रयोग तीन तरीके से किया जाता है :
मूलांक : किसी व्यक्ति की जन्म तिथि को एक-एक कर जोड़ने से जो अंक प्राप्त होता है वो उस व्यक्ति का मूलांक कहलाता है। उदाहरण स्वरूप यदि किसी व्यक्ति कि जन्म तिथि 28 है तो 2+8 =10, 1 +0 =1, तो व्यक्ति का मूलांक 1 होगा।
भाग्यांक: किसी व्यक्ति की जन्म तिथि, माह और वर्ष को जोड़ने के बाद जो अंक प्राप्त होता है वो उस व्यक्ति का भाग्यांक कहलाता है। जैसे यदि किसी व्यक्ति की जन्म तिथि 28-04-1992 है तो उस व्यक्ति का भाग्यांक 2+8+0+4+1+9+9+2 = 35, 3+5= 8, अर्थात इस जन्मतिथि वाले व्यक्ति का भाग्यांक 8 होगा।
नामांक: किसी व्यक्ति के नाम से जुड़े अक्षरों को जोड़ने के बाद जो अंक प्राप्त होता है, वो उस व्यक्ति का नामांक कहलाता है। उदाहरण स्वरूप यदि किसी का नाम “RAM” है तो इन अक्षरों से जुड़े अंकों को जोड़ने के बाद ही उसका नामांक निकला जा सकता है। R(18, 1+8=9+A(1)+M(13, 1+3=4), 9+1+4 =14=1+4=5, लिहाजा इस नाम के व्यक्ति का नामांक 5 होगा।
इसके साथ ही आपको बता दें की अंक शास्त्र में किसी भी अंक को शुभ या अशुभ नहीं माना जाता है।
जैसे की 7 को शुभ अंक माना जाता है लेकिन 13 को अशुभ, जबकि यदि 13 का मूलांक निकाला जाए तो भी 7 ही आएगा।
हर अक्षर से जुड़े अंक का विवरण निम्नलिखित है :
A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z
1 2 3 4 5 6 7 8 9 1 2 3 4 5 6 7 8 9 1 2 3 4 5 6 7 8 9
किसी भी व्यक्ति का मूलांक और भाग्यांक ये दोनों ही उसके जन्म तिथि के आधार पर निकाले जानते हैं, इसे किसी भी हाल में बदला नहीं जा सकता है।
अंक शास्त्र के अनुसार यदि किसी का नामांक, मूलांक और भाग्यांक से मेल खाता हो तो ऐसे व्यक्ति को जीवन में अप्रत्याशित मान, सम्मान, खुशहाली और समृद्धि मिलती है।
बहर हाल आज कल लोग अपने नाम की स्पेलिंग बदलकर अपने नामांक को मूलांक या भाग्यांक से मिलाने का प्रयास करते हैं। इसमें उन्हें सफलता भी मिलती है और जीवन सुखमय भी बीतता है।
ज्योतिष शास्त्र और अंक शास्त्र :
अंक शास्त्र ज्योतिषशास्त्र की तरह ही एक प्राचीन विद्या है।
ये दोनों ही एक दूसरे से परस्पर जुड़े हुए हैं।
भविष्य से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त करने के लिए अंक ज्योतिष विद्या का ही प्रयोग किया जाता है।
हालाँकि इसके लिए ज्यादातर लोग ज्योतिषशास्त्र का ही प्रयोग करते हैं, अंक शास्त्र इस मामले में अभी भी पीछे हैं।
वैसे तो अंक शास्त्र ज्योतिषशास्त्र का ही एक भाग है लेकिन भविष्य की जानकारियाँ देने में दोनों में अलग - अलग तथ्यों का प्रयोग किया जाता है।
आज कल अंक शास्त्र की मदद से लोग विशेष रूप से कुछ कामों में अंकों की मदद लेते हैं।
जैसे की लाटरी निकलने में या फिर मकान का अलॉटमेंट करने के लिए।
जैसे की हमने आपको पहले ही बताया कि प्रतीक अंक किसी ना किसी ग्रह से जुड़े हैं।
बहर हाल बात साफ़ है कि अंकशास्त्र और ज्योतिषशास्त्र एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
आज कल ना केवल आम व्यक्ति बल्कि बहुत सी जानी मानी हस्तियां भी अंक शास्त्र में विश्वास रखती हैं।
ज्योतिषशास्त्र में जिस प्रकार से जातक के बारे में उसकी राशि और कुंडली में मौजूद ग्रह नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार भविष्यफल बताया जाता है।
इसके विपरीत अंक शास्त्र में व्यक्ति की जन्म तिथि के अनुसार मूलांक, भाग्यांक और नाम के अनुसार नामांक निकालकर भविष्य फल की गणना की जाती है।
प्रत्येक व्यक्ति के मन में प्रश्न होता है - आख़िर कैसे जानें अंक ज्योतिष से भविष्य? इस प्रश्न का ही उत्तर है यह अंक शास्त्र कैलकुलेटर।
अंक शास्त्र को हिंदी में अंक विज्ञान, अंक ज्योतिष और अंग्रेजी में न्यूमरोलॉजी के नाम से जाना जाता है.अंक शास्त्र एक विज्ञान है जो हमें भविष्य की जानकारी प्रदान करता है।
अंक शास्त्र में जन्म की तारीख और नाम को आधार बनाकर व्यक्ति के व्यवसाय, मित्रों, उसके जीवन में आने वाले उतार - चढ़ाव तथा लाभ व हानि संबंधी ढेर सारी बातों की जानकारी हासिल की जा सकती है।
यदि किसी व्यक्ति को अपने जन्म के समय की पूरी जानकारी नहीं है तब भी वह अंक शास्त्र कैलकुलेटर की मदद से अपने भविष्य का पता लगा सकता है।
नीचे दिए गए फॉर्म में अपने विवरण भरकर अपने भविष्य संबंधी जानकारी हासिल करें–
अंक विज्ञान क्या है :
अंक शास्त्र प्राचीन समय से चली आ रही एक विद्या है जिसके द्वारा अंकों की गणना कर भविष्य का पहले हीं पता लगाया जा सकता है।
अंक शास्त्र को अंक विज्ञान और अंक ज्योतिष के नाम से भी जानते हैं।
यह ज्योतिष शास्त्र जैसा ही पुराना और सही विज्ञान है।
अगर देखा जाए तो अंक शास्त्र और ज्योतिष एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
ऐसे ही हस्तरेखा विज्ञान और अंक शास्त्र एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।
भविष्य से जुड़ी किसी भी तरह की गणना करने के लिए पिछले कई सालों से अंक ज्योतिष ज्ञान का उपयोग किया जाता रहा है।
अंकशास्त्र को अंको का विज्ञान कहा जाता है।
अगर देखा जाए तो हमारे सारे कार्य अंक के आधार पर हीं सम्पन्न होते हैं।
वर्ष, महीना, तिथि, घण्टा, मिनट तथा सेकंड आदि जैसी जरूरत की चीज़ों को व्यक्त करने का माध्यम अंक ही है।
कई बार ऐसा होता है जब किसी एक तिथि, दिन या माह में घटी घटना कुछ समय पश्चात् उसी तिथि, दिन, माह पर दोबारा घटित हो जाती हैं।
यहाँ तक कि दोनों घटनाओं का समय और उन अंकों का योग भी पूरी तरह से एक ही होता है।
उस घटना से जुड़े लोग, उनका नाम और नामांक भी एक हीं होता है।
इसी तरह के अनुभव की वजह से हम अंक को शास्त्र , ज्योतिष और विज्ञान से जोड़ने लगते हैं।
अंक शास्त्र के बारे में विद्वानों का मानना है कि अंक शास्त्र की शुरुआत संस्कृत मूलाक्षरों से हुई है।
अंक ज्योतिष विज्ञान प्राचीन वैदिक लोगों का विषय रहा है।
इजिप्ट की जिप्सी जनजाति ने भी इस विद्या को विकसित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
रिसर्च के अनुसार यह पता चलता है कि अंक शास्त्र का इतिहास 10,000 पूर्व से भी पहले का रहा होगा, लेकिन इसकी कोई सही जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई है।
हम सभी जानते हैं कि हमारा कोई भी दिन अंकों के बिना नहीं बीतता है तो ज़ाहिर सी बात है कि अंक विज्ञान की शुरुआत काफी प्राचीन रही होगी।
अनुसार अंक विज्ञान के ज्योतिष शास्त्र :
आधुनिक अंक ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के नाम को अंग्रेजी में लिखकर प्रत्येक अक्षर की गणना करके किसी भी नाम का नामांक प्राप्त किया जाता है।
जन्म की तारीख, माह और वर्ष के अंकों को जोड़ कर भाग्यांक प्राप्त किया जाता है और जिसके बाद किसी भी व्यक्ति की भविष्यवाणी की जाती है।
सौरमंडल में मौजूद नौ ग्रहों को आधार बनाकर अंक शास्त्र में गणना की जाती हैं।
ज्योतिष के अनुसार सौरमंडल के ये नव ग्रह हैं
सूर्य , चन्द्र , गुरू , राहु , बुध , शुक्र , केतु , शनि और मंगल जिनकी विशेषताओं को भी गणना करते समय ध्यान में रखा जाता है।
ज्योतिष के अनुसार सौरमंडल की शक्ति 1 से लेकर 9 तक हमारे सारे अंकों को नियंत्रित करती है और इसीलिए हम पर इनका सीधा असर होता है।
अंक शास्त्र में हमारे भविष्य से जुड़ी सभी गणनाएं मूलांक ( जन्म तारीख के अंको का जोड़ ) के द्वारा होती है।
शास्त्रों में हर मूलांक की अपनी खासियत होती और सबका अपना एक स्वामी ग्रह होता है।
मूलांक व्यक्ति का गुण, स्वभाव, स्वास्थ्य आदि के विषय में बताता है।
सभी मूलांक के जातक व्यवहार और शारीरिक संरचना में एक दूसरे से काफ़ी भिन्न होते है।
लाभ का अंक शास्त्र :
ज्योतिष शास्त्र में की गई गणना अंक शास्त्र की तुलना में ज्यादा कठिन होती हैं।
अंक शास्त्र का उपयोग केवल ज्योतिष शास्त्र में हीं नहीं बल्कि वास्तु शास्त्र में भी किया जाता है।
अंक का महत्व और उपयोग आपको फेंगसुई एवं वास्तु में भी जगह - जगह पर देखने को मिल जाएगा जैसे घर या ऑफिस की सीढ़ियों और दरवाजों आदि का शुभ या अशुभ होना उनकी संख्या पर निर्भर करता है।
भविष्य की जानकारी के अलावा अंक ज्योतिष से विवाह या शुभ कामों में भी काफ़ी मदद और लाभ मिलते हैं।
अंक ज्योतिष में हर ग्रह के लिए 1 से लेकर 9 तक एक - एक अंक निर्धारित किए गए हैं और यह नौ ग्रह उससे जुड़ा हुआ अंक मनुष्य के जीवन पर अपना प्रभाव डालते हैं।
ज्योतिष विद्या के अनुसार किसी व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति उस व्यक्ति का व्यक्तित्व निर्धारित करती है।
इस लिए, जन्म के बाद उस व्यक्ति पर उसी अंक का प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ता है, जो कि व्यक्ति के स्वामी ग्रह का अंक होता है।
अंक ज्योतिष से विवाह का भी गहरा संबंध है।
गुण मिलान के समय यदि किसी एक व्यक्ति का अंक दूसरे व्यक्ति के अंक से मिल जाता है तो भविष्य में दोनों लोगों के बीच एक अच्छे संबंध की कल्पना की जाती है।
नामांक कैसे निकालते हैं :
अंक ज्योतिष ज्ञान आपके जन्म दिनांक और नाम इन दोनों का मूलांक निकालकर व्यवसाय, प्रेम, विवाह आदि जैसी इच्छित विषयों के सम्बन्ध में आपके शुभ - अशुभ फल की जानकारी प्रदान करता है।
नामांक निकलने के लिए किसी नाम के नंबर को लिख कर उन्हें जोड़ें, जैसे किसी व्यक्ति का नाम यदि RAHUL है तो आप इस प्रकार नामांक निकल सकते हैं।
9 + 1 + 8 + 3 + 3 = 24 , 2+4 = 6 इस प्रकार RAHUL नाम के व्यक्ति का नामांक 6 है.
मूलांक कैसे निकालते हैं :
किसी भी व्यक्ति की जन्मतिथि का जोड़ मूलांक कहलाता है जैसे 6, 15, 24 तारीखों को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 6 होगा।
भाग्यांक कैसे निकालते हैं :
भाग्यांक निकालने के लिए किसी व्यक्ति की जन्मतिथि को जोड़े जैसे किसी व्यक्ति की जन्मतिथि 16/03/2018 है, तो आप इस प्रकार भाग्यांक निकाल सकते हैं।
1 +6 +0 +3 +2 +0 +1 +8 = 21, 2+1 = 3. इस प्रकार 16/03/2018 को जन्में व्यक्ति का भाग्यांक 3 होगा.
व्यक्ति का स्वभाव के अनुसार नामांक :
अंक शास्त्र में मुख्य अंक 0 से 9 तक होते हैं, 0 से लेकर 9 तक के अंकों द्वारा अन्य सभी संख्याओं का निर्माण होता है। इन्हीं 9 अंकों द्वारा पूरे विश्व का चक्र चलता है।
प्रकृति की बात करें तो ये सभी नौ अंक एक दूसरे से बहुत अलग हैं।
प्रत्येक अंक का मानव जीवन पर एक विशेष प्रभाव् होता है।
शास्त्रों के अनुसार हमारे जीवन की हर घटना में अंकों का हस्तक्षेप होता है जिसकी वजह से हमारे जीवन का हर पहलू प्रभावित होता है।
🙏हर हर महादेव हर...!!
{ पंडारामा प्रभु राज्यगुरू ( द्रविड़ ब्राह्मण ) }
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर: -
श्री सरस्वति ज्योतिष कार्यालय
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Satvara vidhyarthi bhuvn,
" Shri Aalbai Niwas "
Shri Maha Prabhuji bethak Road,
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏
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