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Sunday, June 22, 2025

जानें हस्तरेखा से भविष्य..!

जानें हस्तरेखा से भविष्य..!

जानें हस्तरेखा से भविष्य..!

लहरदार भाग्यरेखा


( मुसीबत-ही - मुसीबत )


यदि शनि रेखा लहरदार हो तो यह बतलाती है कि जातक के विचारों व कार्यों में लगातार बदलाव आता है एवं वह स्थायी तौर पर कोई कार्य नहीं कर पाता है। 

यदि इस दृष्टांत में शनिरेखा विषम हो या अन्य प्रकार से दूषित भी हो तो जातक को यात्रा के दौरान कुछ मुसीबतों व कष्टों का सामना करना पड़ता है।




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ऐसे व्यक्ति की जन्मकुण्डली में कालसर्पयोग जरूर होता है। 

ऐसे जातक को परिश्रम का फल नहीं मिलता।


आपके हस्तरेखा में शुक्र पर्वत भी बहुत उच्च है अतः आप बलवीर्य के स्वामी बहुत साहसी निर्भीक निडर इंसान होगे परंतु कामोतेजना पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है नही तो विवाह जल्द होने से ,किसी से प्रेम होने से कला संगीत सौंदर्य प्रेमी होने से कई प्रकार की समस्या आ सकती है 

अतः उतावलापन से बचे, शक्ति बल को ध्यान में रखते हुए बौद्धिक ज्ञान का विकास करें, इससे आपको राजयोग सुख प्राप्त होने में देर नही लगेगी, 




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क्योंकि शुक्र गुरु के उच्च होने से जातक भोग विलासिता की ओर अग्रसर हो जाता है, 

परंतु जातक बहुत दुविधा में रहता है कि पढे या विवाह शादी करके सटल हो जायें,अतः मेरी आपको सलाह है शुक्र पर नियंत्रण रखें और अपने आप पर नियंत्रण रख कर शिक्षा ज्ञान विज्ञान पर ध्यान दें निश्चित ही आपके भाग्य का उदय चंद्र के कार्यकाल में हो रहा है 

अतः 26 वर्ष में खुद ही सब कुछ आपके पास होगा, शुक्र पर्वत उच्च होने से जातक का स्वरुप बहुत सुंदर होता है, चेहरे पर तेज ओज चमक बनी रहती है, परंतु शुक्र ज्ञान को बाधित करता है, अतः उसको जरूर बैलेंस करें





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आपके भाग्य का उदय चंद्र पर्वत से हो रहा है अतः 16 वर्ष से ही उसका असर दिखना सुरु हो जायेगा, इस दौरान आपके पास मान सम्मान भूमि भवन वाहन सुख प्राप्त होगा,

आपके मष्तिष्क रेखा चंद्र पर्वत पर जाकर दो भागों में विभक्त है 

अतः आपको तर्क कला का अच्छा ज्ञान होगा विषय वस्तु को समझने की अद्भुत क्षमता होगी, उसपर बात करने की पकड बहुत मजबूत होगी,

आपका चंद्र पर्वत भी उच्च है साथ ही हदय रेखा शनि गुरु के मध्य तक जाती है 

अतः विवाह जल्द होगा, विवाह 24 वर्ष से 28 वर्ष के अन्दर होगा,

आपके हस्तरेखा में सूर्य पर्वत निम्न है 






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अतः सूर्य का उपाय करें जिससे आपकी मान प्रतिष्ठा बढ़ेगी पिता से सदैव स्नेह बना रहेगा अन्यथा पिता से वैचारिक मतभेद बन सकते है गुप्त शत्रु से भी खतरा हो सकता है,

आपका शनि पर्वत सामान्य उच्च है और ह्दय रेखा भी वही पर आकर रूक रही है 

अतः आपकी पत्नी तो बहुत सुंदर सभ्य सुशील होगी लेकिन कद लम्बा हो सकता है, 

अर्थात आप से लम्बाई ज्यादा हो सकती है, साथ ही शनि मध्यम गति से चलने वाले ग्रह है अतः वैवाहिक जीवन को बहुत सम्हाल कर चलना होगा बैलेंस बना कर चलना होगा, 

पत्नी घर परिवार  को बहुत महत्व देगी सबके प्रति उसका समर्पण अच्छा रहेगा,

शनि वैवाहिक जीवन में स्लो मोशन बनाता है अतः 34 वर्ष तक विशेष ध्यान देने की जरूरत रहेगी,

आपका मंगल ग्रह बहुत अच्छा है अतः आपका जीवन प्रोफेशनल रहेगा उतावलापन से बचे,






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आपका राहु ग्रह कुछ खराब है अतः पारिवारिक विवाद वाहन से 28 वर्ष तक सावधान रहे,

आपका केतु पर्वत भी राहु को सपोर्ट कर रहा है अतः जिद पूर्ण कार्य करने से बचे आध्यात्मिक विचार रखे कुछ पूजा पाठ करें मंदिर जाये हनुमान जी की भक्ति करें हनुमान चालीसा का पाठ करें 

इससे आपको एक अलौकिक चमत्कारिक ज्ञान प्राप्त होगा जिस ज्ञान से आप देश क्या विदेश से भी धनार्जन कर सकते है, 

अतः आपको किसी गुप्त विद्या का रहस्य का औषधि का बहुत उत्तम ज्ञान प्राप्त होगा उसी से आप मान सम्मान समाजिक प्रतिष्ठा सुयश सर्वोच्च सम्मान प्राप्त करेंगे,

आपकी हस्तरेखा में अलौकिक चमत्कारिक रेखा जीवन रेखा से निकल कर शनि पर्वत पर जाती है, अतः आपको अचानक धन लाभ मिलने की, प्रबल संभावना है, 

लेकिन कभी कभी जातक अपने मन का हर कार्य करने लगता है जिससे जातक से भूल बस गलत कार्य हो जाता है 

अतः, स्व विवेक का सही इस्तेमाल करें, जिससे माता पिता कुल गौरव का स्वाभिमान सदैव अक्षुण्ण बना रहे,,,!


शुक्र पर्वत से प्रकट आकस्मिक रेखा भाग्यरेखा को काटती हुई

( घोर संकट )

यदि शुक्र पर्वत पर उदित प्रभाव रेखा में से कोई आकस्मिक रेखा प्रकट होकर शनिरेखा को काट दे तथा इसके बाद शनि रेखा छिन्न-भिन्न होती हुई टूटी-फूटी अवस्था को प्राप्त हो जाय तो प्रभाव रेखा के कारण ही जातक के जीवन में घोर संकट आयेगा। 

यदि आप पता लगा सकें कि यह प्रभाव रेखा किस श्रेणी में है, कहां से अकस्मात यह रेखा उदित हुई है तो और अधिक स्पष्टीकरण मिल सकता है।

जीवनरेखा पर द्वीप एवं निम्नगामी रोमावली वाली भाग्यरेखा

( अशुभ संकेत )

यदि निम्नगामी रेखाओं से युक्त शनिरेखा के साथ जातक की जीवन रेखा पर एक द्वीप दिखलाई दे तो यह एक अशुभ संकेत है। ऐसे में खराब स्वास्थ्य के कारण जातक को शनिरेखा का पूर्णफल नहीं मिल पायेगा।

रोमावली युक्त भाग्यरेखा

( महत्त्वाकांक्षाएं सफल होंगी )

कई बार शनिरेखा पर यह भी दिखलाई देता है कि बहुत-सी छोटी-छोटी बारीक रेखाएं उससे निकलकर नीचे की ओर झुकती हुई अथवा ऊपर की ओर उठती हुई भी दिखलाई देती हैं। 

ऊपर की ओर उठने वाली रेखा जातक की महत्त्वाकांक्षा और उसके आगे बढ़ने के मार्ग को प्रशस्त करती है जिसके कारण शनिरेखा को बल मिलता है। 

ऐसी रेखा जब भी उदित होती है तो जातक का जीवन आशा से भर जाता है तथा जातक सफलता की ओर दो कदम आगे बढ़ता है। 

इसके विपरीत निम्नगामी रेखाओं के काल में जातक का कठिन समय होता है तथा निराशा एवं आत्मविश्वास की कमी के कारण जातक की उन्नति रुक जाती है। 

मैंने ऐसा भी अनुभव किया है कि निम्नगामी एवं ऊर्ध्वगामी इन रेखाओं के काल में जातक के स्वास्थ्य में भी अनुकूल एवं प्रतिकूल परिवर्तन आते हैं। 

जब ऊर्ध्व रेखाएं प्रकट होती हैं जातक का शारीरिक उत्कर्ष भी उत्तमता की ओर होता है तथा जातक का स्वास्थ्य ठीक होने से वह ज्यादा काम कर पाता है।


मस्तिष्करेखा पर रुकी हुई भाग्यरेखा

( कठोर परिश्रम के अलावा कोई विकल्प नहीं )

यदि शनिरेखा प्रारम्भ में गहरी व अच्छा उठाव लिये हुए हो, परन्तु मस्तिष्करेखा तक पहुंचकर रुक जाये, तो ऐसे जातक का प्रारम्भिक जीवन खासकर 30 वर्ष तक श्रेष्ठ रहता है, परन्तु इसके बाद अपने कार्य - क्षेत्र के चुनाव में गलत निर्णय के कारण जातक को केवल अपने कठोर परिश्रम पर ही विश्वास करना चाहिये तथा भाग्योदय के अवसरों ( अथवा अचानक धनवान बनने के दिवास्वप्न  ) पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिये। 

जब तक कि यह रेखा आगे न बढ़े, जातक को यह समझ लेना चाहिये कि उसके जीवन का उत्कृष्ट समय जा चुका है तथा अब तो कठोर परिश्रम के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं बचा है।

पंडारामा प्रभु राज्यगुरु

Tuesday, June 17, 2025

जानें हस्तरेखा से भविष्य :

जानें हस्तरेखा से भविष्य :

जानें हस्तरेखा से भविष्य :


भाग्यरेखा पर टूटन या टूटी-फूटी भाग्यरेखा 

( आमूलचूल परिवर्तन )


शनिरेखा पर टूटन सबसे खराब मानी गई है। 

जिस अवस्था में शनिरेखा पर टूटन दिखलाई पड़े, उस समय जातक का व्यक्तित्व भारी रूप से प्रभावित होता है। 

ऐसे में यदि रेखा अपना रुख बदल दे, नये बदलाव के साथ प्रारम्भ हो अथवा बिलकुल ही प्रारम्भ न हो तो ये टूटन जातक के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाती है। 

यदि शनिरेखा में लगातार टूटन हो तो जातक के विकास में, उन्नति के मार्ग में लगातार प्रतिकूल परिवर्तन आते हैं और उसका जीवन श्रमपूर्ण एवं कष्टमय हो जाता है। 

स्मरण रहे कि प्रत्येक टूटन अलग-अलग दुर्भाग्य को आमन्त्रित करती है। 

यदि टूटन के बीच का भाग लम्बा है तो दुर्भाग्य, काल लम्बा है और टूटन छोटी है तो अवधि छोटी है। 

टूटन की क्षतिपूर्ति यदि अन्य रेखाओं द्वारा हो गई है तो दुर्भाग्य के दौरान जातक को राहत मिल जायेगी। 

उसका नुकसान नहीं होगा। 

शनिरेखा की गणना करके उपर्युक्त काल का परिमापन किया जा सकता है।




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भाग्यरेखा पर आड़ी रेखाएं :

( व्यक्तित्व विकास में बाधा )


शनिरेखा पर उदित आड़ी रेखाएं जातक के व्यक्तित्व विकास में बाधा डालती हैं। 

प्रत्येक आड़ी रेखा अपने-आपमें एक स्वतन्त्र व्यवधान है। 

रेखा की गहराई व्यवधान की गम्भीरता को बतलाती है। 

यदि आड़ी रेखाएं हलकी हैं और शनिरेखा को ज्यादा गहराई से नहीं काटतीं, केवल ऊपर से निकलती मात्र हैं तो ये विकास में लगातार छेड़छाड़ व हलके विघ्न को ही बतलाती हैं।


यदि ये आड़ी रेखाएं शनिरेखा को दो भागों में ही विभक्त कर दें तब तो बहुत बड़ी चुनौती सामने आयेगी जो जातक की सफलता की उम्मीद को ही तोड़ देगी। 

जीवन में ऐसा कुअवसर कब आयेगा, इसका पता शनिरेखा की गणना के माध्यम से चल सकता है। घटना की गम्भीरता का पता रेखा की गहराई बतायेगी। 

घटना के कारणों का पता दूसरी रेखाएं व चिह्नों से चलेगा। 

घटनाओं का परिणाम क्या होगा, इसका पता शनिरेखा के अन्त (अन्तिम स्थल ) से चलेगा।


भाग्यरेखा प्रारम्भ में जंजीराकृति, शुक्र स्थल पर सितारा, मस्तिष्करेखा पर द्वीप, जीवनरेखा से अन्य रेखा का उदय




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( माता - पिता की मृत्यु से परेशानी )

उपर्युक्त परिस्थितियों की तरह शनिरेखा प्रारम्भ में विकृत हो तथा प्रभाव रेखा के अन्त में एक सितारा हो, जहां सितारा हो वहीं से जीवनरेखा में से एक शाखा भी निकल रही हो, जो एक आकस्मिक रेखा तक पहुंचे और मस्तिष्क रेखा पर उस जगह एक द्वीप हो। 

इन परिस्थितियों में जातक के माता-पिता की मृत्यु ने उसके ( जातक के ) उठान को रोका है और जातक मानसिक रूप से काफी परेशान भी उस अवस्था में रहा है।



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भाग्यरेखा प्रारम्भ में जंजीराकृति व शुक्रस्थल पर सितारा

( बचपन में कष्ट )


शनिरेखा का प्रारम्भिक अवस्था में विकृत होना बचपन में ही मुसीबतों को बतलाता है। 

यदि शनिरेखा प्रारम्भ में ही श्रृंखलाकार हो तथा शुक्र स्थल पर एक प्रभाव रेखा दिखलाई पड़े जिसके अन्त में सितारा हो तो जातक के माता-पिता बचपन में ही गुजर जाते हैं जिसके कारण जातक का भविष्य छोटी आयु में ही अन्धकारमय हो जाता है। 

जिस उम्र में माता-पिता की मृत्यु होगी या हुई है, यह तो प्रभाव रेखा पर दिखाई देने वाले सितारे की दूरी के समकक्ष जीवनरेखा को चिह्नित करके नापी जा सकती है। 

जातक के जीवन में सुखद समय की कब शुरुआत होगी, यह शनिरेखा की सही स्थिति को चिह्नित करके बतलाया जा सकता है।




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जब प्रारम्भ में जंजीराकृति पर बाद में उत्तम हो भाग्यरेखा

(गंभीर रुकावटें)


शनिरेखा पर उपस्थित सभी प्रकार के दोष एवं विकारों का सूक्ष्म अध्ययन करना जरूरी है, क्योंकि ये बतलायेंगे कि व्यक्ति के जीवन में किस प्रकार की बाधाएं, विघ्न व रुकावटें सम्भावित हैं तथा वे रुकावटें कितनी हद तक गम्भीर हैं। 

हथेली के अन्य भागों में इन दोषों का सन्दर्भ ढूंढ़ा जा सकता है तथा समझदारी के द्वारा इन दोषों का उपाय व समाधान भी किया जा सकता है तथा शनिरेखा पर ज्यादातर दोष प्रारम्भ में ही पाये जाते हैं; क्योंकि प्रारम्भिक काल बचपन को ही उ‌द्घाटित करता है। 

ज्यादातर बच्चे बचपन में इतने मेधावी नहीं होते कि उनकी कुछ उपलब्धियां उल्लेखित हो जायें। 

बचपन की अवस्था ( प्रारम्भिक काल ) में शनिरेखा का दूषित पाया जाना बाल्यावस्था की बीमारी या माता-पिता की मृत्यु, उनके आर्थिक पक्ष में दीवालियापन, बच्चे के विकास में बाधक हो सकती है। 

बच्चे का माता-पिता से पृथक रहना, उसके बहुत दूर हॉस्टल या ऐसी स्थिति में रहना जिससे वह अपने-आपको दुःखी व बेचैन महसूस करता हो। 

ऐसे अनेक कारण बच्चे के सही विकास में बाधा का कार्य कर सकते हैं।




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जंजीराकृति भाग्यरेखा

( भाग्योदय में रुकावटें )


श्रृंखलाकार शनिरेखा बतलाती है कि जातक के विकास में बहुत-सी रुकावटें हैं। 

यदि यह द्वीपाकार श्रृंखला रेखा की सम्पूर्ण लम्बाई तक विद्यमान है तो जातक कठोर परिश्रमपूर्वक जीवन जीयेगा। 

तथा जीवन में अनेक दिक्कतों व निराशाजनक स्थितियों से सामना करना पड़ेगा। 

यदि श्रृंखला कुछ दूरी तक ही है तो आगे चलकर सुधरेगा।




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भाग्यरेखा का उठान मस्तिष्करेखा के बाद

( भाग्योदय देरी से )


भाग्यरेखा जब मस्तिष्करेखा के बाद उदय होती हुई दिखलाई दे तो जातक का भाग्योदय 36 वर्ष की आयु के बाद होता है। व्यक्ति नये कार्यों के द्वारा उन्नति की ओर बढ़ता है।


मुख्य भाग्यरेखा न होने पर इस भाग्यरेखा के प्रारम्भ होने की आयु से कई बार 45 वर्ष की आयु से व्यक्ति का अचानक भाग्योदय हो जाता है। 

ऐसे जातक का प्रारम्भिक जीवन भले ही संघर्षपूर्ण रहा हो पर इस आयु में उसे प्रत्येक कार्य में लगातार सफलता मिलनी प्रारम्भ हो जाती है। 

घर में, जाति में, समाज में अचानक प्रतिष्ठा बढ़ती है। जातक उदार मनोवृत्ति वाला हो जाता है तथा उसके सौहार्दपूर्ण व्यवहार से सभी प्रभावित होने लगते हैं।




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भाग्यरेखा हथेली के मध्य भाग से प्रभाव रेखा के अन्त में सितारा

(भाग्योदय में देरी)


शनिरेखा हथेली के मध्य भाग से स्पष्टतः उठती हुई दिखलाई दे रही है, कोई अन्य अशुभ रेखा हाथ में नहीं है; परन्तु पैतृक प्रभाव से रेखा का अन्त एक सितारे से होता हुआ दिखलाई दे तो जातक के माता-पिता की मृत्यु बचपन में ही हो जाती है, जिसके कारण जातक का भाग्योदय सही समय पर नहीं हो सकता और भाग्यरेखा हथेली के मध्य पर प्रकट हुई। 

स्मरण रखें, शनिरेखा पर दिखलाई देने वाले सभी संकेत जातक के आर्थिक पहलुओं को स्पष्ट करते हैं। इसके बाद शनि रेखा की बनावट व आकार-प्रकार पर ध्यान देना चाहिये। 

यदि रेखा लम्बी तथा गहरी नहीं, अर्थात दूसरी रेखाओं की तुलना में गहरी नहीं है तो समझें कि शनिरेखा उतनी शक्तिशाली नहीं है, जितनी होनी चाहिये।




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शनिरेखा हथेली के मध्य भाग से एवं मस्तिष्करेखा विकृत

(सही सोच से भाग्योदय)


यदि शनिरेखा हथेली के मध्य भाग से शुरू होती है और मस्तिष्क रेखा अपनी प्रारम्भिक अवस्था में विकृत हो तो जातक का जो कार्य मस्तिष्क की कमजोरी के कारण रुका हुआ था वह जहां मस्तिष्क रेखा ठीक अवस्था को प्राप्त होगी उसी बिन्दु से जातक का भाग्योदय प्रारम्भ होगा।


हथेली के मध्य भाग से प्रारम्भ भाग्यरेखा एवं क्षीण आयुरेखा

( व्यापार - व्यवसाय में उन्नति )


मान लीजिये प्रारम्भ में शनिरेखा अदृश्य है तो उस काल में जीवनरेखा भी पतली या नाजुक होगी। 

तब आपको पता चल जायेगा कि इस जातक ने प्रारम्भिक काल में कम काम किया क्योंकि उसका स्वास्थ्य नाजुक था। 

ज्यों ही शनिरेखा का प्रभाव शुरू होगा, जीवनरेखा की नाजुकता समाप्त हो जायेगी तथा वहीं से जीवन में उपलब्धियों का उत्पादन शुरू होगा। 

यदि जीवनरेखा क्षीण ( पतली ) है तो जहां से जीवनरेखा पुनः गहरी व स्पष्ट होना प्रारम्भ होती है और शनिरेखा की भी यही स्थिति हो तो यही वह बिन्दु है जहां से जातक का व्यापार व्यवसाय उन्नति के शिखर की ओर अग्रसर होगा तथा जातक में कार्य करने की विशेष शक्ति भी बढ़ेगी। 

यहां यह स्मरण रखना जरूरी है कि शनि रेखा की आयु गणना नीचे से प्रारम्भ होती है तथा जीवनरेखा की गणना ऊपर से प्रारम्भ होती है।

पंडारामा प्रभु राज्यगुरु  


Monday, May 26, 2025

जानें हस्तरेखा से भविष्य :

जानें हस्तरेखा से भविष्य :


जानें हस्तरेखा से भविष्य... 137


उत्तम भाग्य रेखा


(उत्पत्ति)


मणिबन्ध स्थल से उदित होकर शनि पर्वत तक निर्दोष रूप से पहुंचने वाली रेखा उत्तम भाग्य रेखा की श्रेणी में आती है। इसे Rascetterian Fate-line कहते हैं।


(परिणाम)


ऐसे जातक का जन्म ऊंचे कुल में होता है तथा अपने परिश्रम व पुरुषार्थ से स्वयं का भाग्योदय करता है। 

मैं इसे सर्वश्रेष्ठ भाग्यरेखा मानता हूं। 

ऐसे जातक की कुण्डली के केन्द्र-त्रिकोण में पापग्रह अच्छी स्थिति में होते हैं।




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जानें हस्तरेखा से भविष्य... 138


उत्तम भाग्य रेखा


(उत्पत्ति)


हथेली के मध्य से जीवनरेखा के आस-पास से कोई रेखा उदित होकर निर्दोष रूप में बुध पर्वत की ओर जाती हो तो यह भी उत्तम भाग्य रेखा की श्रेणी में आती है। इसे Mercurian fate-line कहते हैं।


(परिणाम)


ऐसा व्यक्ति व्यापार करेगा एवं व्यापार के द्वारा ही इसका सुन्दर-सुखद भाग्योदय होता है। 

बड़े-बड़े उद्योगपतियों के हाथ में यह रेखा देखी गई है। 

इसे बुधरेखा या स्वास्थ्यरेखा न समझें। ऐसे जातक की कुण्डली में 'मूडयेण' होता है।




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जानें हस्तरेखा से भविष्य... 139


उत्तम भाग्य रेखा


(उत्पत्ति-स्थान)


चन्द्रमा से निकलकर शनि पर्वत तक जाने वाली निर्दोष रेखा उत्तम भाग्यरेखा की श्रेणी में आती है। इसे Saturn-line भी कहते हैं।


(परिणाम)


विवाह के बाद भाग्योदय। ऐसे जातक की जन्मकुण्डली में शनि + चन्द्र की स्थिति केन्द्र + त्रिकोण में बहुत ही सुदृढ़ होती है।




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जानें हस्तरेखा से भविष्य... 140


उत्तम भाग्य रेखा


(उत्पत्ति-स्थान)


चन्द्रमा के पर्वत से उदित होकर सूर्य पर्वत तक जाने वाली निर्दोष रेखा, उत्तम भाग्य रेखा की श्रेणी में आती है। इसे Apollo-line भी कहते हैं।


(परिणाम)


जीवनसाथी सौन्दर्य, प्रेम व प्रतिभा' सम्पन्न विवाह के बाद भाग्योदय। ऐसे जातक की कुण्डली में सूर्य की स्थिति केन्द्र-त्रिकोण में बहुत सुदृढ़ होती है।




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जानें हस्तरेखा से भविष्य... 141


उत्तम भाग्य रेखा


(उत्पत्ति-स्थान)


चन्द्र पर्वत से उदित होकर गुरु पर्वत की ओर जाने वाली निर्दोष रेखा उत्तम भाग्यरेखा की श्रेणी में आती है। 

इसे Jupiterian fate line भी कहते हैं।


(परिणाम)


उत्तम शिक्षा व विवाह के बाद भाग्योदय। ऐसे जातक की जन्म कुण्डली प्रायः 'हंसयोग' पाया जाता है।




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जानें हस्तरेखा से भविष्य... 142


हथेली के मध्य भाग से प्रारम्भ शनि पर्वत की ओर जाती हुई भाग्यरेखा


(मध्यमायु से भाग्योदय)


कई बार शनिरेखा हथेली के नीचे से प्रारम्भ न होकर हथेली के मध्य भाग में कुछ ऊपर से प्रारम्भ होती है। 

इस केस में जातक के जीवन का पूवार्द्ध नगण्य-सा होता है। 

जातक का बचपन ही गौरवशाली नहीं होता परन्तु जवानी में प्रवेश करते-करते जब इस रेखा का प्रारम्भिक काल प्रभावित होगा तब जातक सफलता की ओर प्रवेश करते हुए उपलब्धियां अर्जित करेगा। 

ऐसे जातकों के बारे में कहा जा सकता है कि ये 'मुंह में सोने के चम्मच' के साथ पैदा नहीं हुए हैं। अर्थात जन्म से धनाढ्य या भाग्शाली नहीं हैं। 

भाग्यरेखा जब शुरू होती है उसी समय जातक का स्वर्णिम काल प्रारम्भ होता है। 

शनि रेखा की अनुपस्थिति बतलाती है कि लगातार प्रयत्न की अत्यन्त आवश्यकता है।

पंडारामा प्रभु राज्यगुरु



Wednesday, May 21, 2025

जाने हस्त रेखा से भविष्य और आर्युवेदिक नूरखा

जाने हस्त रेखा से भविष्य और आर्युवेदिक नूरखा 


जानें हस्तरेखा से भविष्य... 136


हृदयरेखा पर सूक्ष्म द्वीप

( हृदय पर दबाव, वाल्व की खराबी )

हृदयरेखा का सूर्य पर्वत के नीचे जाकर दूषित होना ज्यादा गड़बड़ होने का सूचक है और यह गड़बड़ी स्वास्थ्य संबंधी ही होगी। 

हृदयरेखा पर द्वीप की आकृति अशुभ प्रभाव वाली होती है। 

यह द्वीप हृदयरेखा के विद्युत प्रवाह में रुकावट का कार्य करता है। 

द्वीप के आकार-प्रकार, लम्बाई-चौड़ाई से इस प्रवाह के रुकावट की गम्भीरता का पता चलता है। 

बड़ा द्वीप आयु की लघुता को भी बताता है। 

द्वीप जिस पर्वत के नीचे हो, उस पर्वत-सम्बन्धी दोष जातक में बढ़ जायेंगे। 

यदि कोई रेखा कहीं से उदित होकर द्वीप के पास चली जाये तो उस रेखा के माध्यम से बीमारी के स्रोत का पता चल जाता है कि द्वीप हृदय रोग का है या अन्य कोई स्वास्थ्य रोग का। 

इसका पता नाखूनों एवं अन्य स्थितियों से चलता है।


दूध ना पचे तो ~ सोंफ
दही ना पचे तो ~ सोंठ
छाछ ना पचे तो ~जीरा व काली मिर्च
अरबी व मूली ना पचे तो ~ अजवायन
कड़ी ना पचे तो ~ कड़ी पत्ता,
तैल, घी, ना पचे तो ~  कलौंजी...
पनीर ना पचे तो ~ भुना जीरा,
भोजन ना पचे तो ~ गर्म जल
केला ना पचे तो  ~ इलायची             
ख़रबूज़ा ना पचे तो ~ मिश्री का उपयोग करें...




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1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
2. लकवा - सोडियम की कमी के कारण होता है ।
3. हाई वी पी में -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।
4. लो बी पी - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।
5. कूबड़ निकलना- फास्फोरस की कमी ।
6. कफ - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं 
7. दमा, अस्थमा - सल्फर की कमी ।
8. सिजेरियन आपरेशन - आयरन , कैल्शियम की कमी ।
9. सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें ।
10. अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें ।
11. जम्भाई- शरीर में आक्सीजन की कमी ।
12. जुकाम - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
13. ताम्बे का पानी - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
14. किडनी - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
15. गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें,  लोटे का कम  सर्फेसटेन्स होता है ।
16. अस्थमा , मधुमेह , कैंसर से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।
17. वास्तु के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
18. परम्परायें वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
19. पथरी - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है । 
20. RO का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए सहिजन की फली सबसे बेहतर है ।
21. सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
22. पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है । 
23. भोजन के लिए पूर्व दिशा , पढाई के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।
24. HDL बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
25. गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
26. चीनी के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है । 
27. शुक्रोज हजम नहीं होता है फ्रेक्टोज हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।




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28. वात के असर में नींद कम आती है ।
29. कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।
30. कफ के असर में पढाई कम होती है ।
31. पित्त के असर में पढाई अधिक होती है ।
33. आँखों के रोग - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
34. शाम को वात -नाशक चीजें खानी चाहिए ।
35. प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए ।
36. सोते समय रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
37. व्यायाम - वात रोगियों के लिए मालिश के बाद व्यायाम , पित्त वालों को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । कफ के लोगों को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।
38. भारत की जलवायु वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
39. जो माताएं घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।
40. निद्रा से पित्त शांत होता है , मालिश से वायु शांति होती है , उल्टी से कफ शांत होता है तथा उपवास(लंघन) से बुखार शांत होता है ।
41. भारी वस्तुयें शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
42. दुनियां के महान वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों , 
43. माँस खाने वालों के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
44. तेल हमेशा गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।
45.छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।
46. कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
47.मिर्गी दौरे में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए । 
48.सिरदर्द में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।
49. भोजन के पहले मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है । 
50.भोजन के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें । 
51. अवसाद में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है 
52. पीले केले में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।
53. छोटे केले में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।
54.रसौली की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।
55.  हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।
56. एंटी टिटनेस के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।
57. ऐसी चोट जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें । 
58. मोटे लोगों में कैल्शियम की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
59. अस्थमा में नारियल दें । नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।
60. चूना बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है । 
61. दूध का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
62. गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।
63. जिस भोजन में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए 
64. गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।
65. गाय के दूध में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है।
66.मासिक के दौरान वायु बढ़ जाता है , 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे  गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।
67.रात में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।
68.भोजन के बाद बज्रासन में बैठने से वात नियंत्रित होता है ।
69.भोजन के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।
70.अजवाईन अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है 
71.अगर पेट में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें 
72. कब्ज होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए । 
73. रास्ता चलने, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए । 
74. जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।
75. बिना कैल्शियम की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।
76.स्वस्थ्य व्यक्ति सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।
77.भोजन करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
78.सुबह के नाश्ते में फल , दोपहर को दही व रात्रि को दूध का सेवन करना चाहिए । 
79. रात्रि को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि । 
80. शौच और भोजन के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें । 
81.मासिक चक्र के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए । 
82. जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।
83. जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।
84.एलोपैथी ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है । 
85. खाने की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है । 
86 .रंगों द्वारा चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग । 
87 .छोटे बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए 
88. जो सूर्य निकलने के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है । 
89.बिना शरीर की गंदगी निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं । 
90. चिंता , क्रोध , ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।
91.गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।
92. प्रसव के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती  है ।
93. रात को सोते समय सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा 
94. दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए।
95.जो अपने दुखों को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है । 
96.सोने से आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।।
97.स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है।।
98 .तेज धूप में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है 
99. त्रिफला अमृत है जिससे वात, पित्त , कफ तीनो शांत होते हैं , इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।।
100. इस विश्व की सबसे मँहगी दवा लार है , 
जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,
इसे ना थूके।।
पंडारामा प्रभु राज्यगुरु

Friday, March 7, 2025

कैसे जानें अपना मुख्य अंक ( मूलांक ) ?

कैसे जानें अपना मुख्य अंक ( मूलांक ) ?  

कैसे जानें अपना मुख्य अंक ( मूलांक ) ?  

मूलांक 2 वालों को नौकरी के मिल सकते हैं नए अवसर, पढ़ें अंक ज्योतिष 

वैदिक अंक ज्योतिष विधा शास्त्र में अंकों के माध्यम द्वारा गणित के नियमों का व्यावहारिक उपयोग करके मनुष्य के विभिन्न पक्षों, उसकी विचारधारा, जीवन के विषय इत्यादि का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाता है।

वैदिक अंक ज्योतिष शास्त्र विद्या का अंक ज्योतिष में व्यक्ति के भविष्य का आकलन मुख्य रूप से उसके मूलांक के आधार पर किया जा सकता है, जो जन्म तिथि से जाना जाता है। 

अंकशास्त्र, सामान्य तौर पर किसी व्यक्ति के जन्म की तारीख पर होने वाली संख्याओं के कुल योग का अध्ययन करता है। 

इसमें कुल मूलांक 1 से लेकर 9 तक होता है।  

सभी अंक किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं। 

और इनसे ही मूलांक और भाग्यांक की गणना करके दैनिक अंक ज्योतिष भविष्यफल, साप्ताहिक अंकज्योतिष भविष्यफल, मासिक अंकज्योतिष भविष्यफल और वार्षिक अंकज्योतिष भविष्यफल के साथ ही आपके जीवन से जुड़ी तमाम घटनाओं के बारे में यहां हम आपको जानकारी देते हैं जिससे आपका जीवन सुखमय और समृद्ध बन सके। 




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उदाहरण के लिए समझिए यदि किसी व्यक्ति का जन्म 23 अप्रैल को हुआ है तो उसकी जन्म तारीख के अंकों का योग 2+3=5 आता है। 

यानि 5 उस व्यक्ति का मूलांक कहा जाएगा। 

अगर किसी की जन्मतिथि दो अंकों यानी 11 है तो उसका मूलांक 1+1= 2 होगा। 

वहीं जन्म तिथि, जन्म माह और जन्म वर्ष का कुल योग भाग्यांक कहलाता है। 

जैसे अगर किसी का जन्म 22-04-1996 को हुआ है तो इन सभी अंकों के योग को भाग्यांक कहा जाता है। 

2+2+0+4+1+9+9+6=33=6 यानी उसका भाग्यांक 6 है।


इस अंक ज्योतिष को पढ़कर आप अपनी दैनिक योजनाओं को सफल बनाने में कामयाब रहेंगे। 

जैसे दैनिक अंक ज्योतिष आपके मूलांक के आधार पर आपको यह बताएगा कि आज के दिन आपके सितारे आपके अनुकूल हैं या नहीं। 

आज आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है या फिर किस तरह के अवसर आपको प्राप्त हो सकते हैं। 

दैनिक अंक ज्योतिष की भविष्यवाणी को पढ़कर आप दोनों ही परिस्थिति के लिए तैयार हो सकते हैं। 

तो चलिए अंक शास्त्र के माध्यम से जानते हैं आपका मूलांक, शुभ अंक और लकी कलर कौन सा है।

अंक 1

आज का दिन आपके लिए मुश्किलों भरा हो सकता है। 

कार्यक्षेत्र की गतिविधियों में व्यस्त रह सकते हैं। 

किसी पुराने काम को लेकर यात्राएं करनी पड़ सकती हैं। 

निवेश के लिए रुकना बेहतर रहेगा। वैवाहिक जीवन सामान्य रहेगा।

शुभ अंक-29 

शुभ रंग- गुलाबी

अंक 2

आज आपको नौकरी के नए अवसरों की प्राप्ति होगी। 

साझेदारी में काम करने से लाभ हो सकता है।  

जीवनसाथी से रिश्ता और मजबूत होगा। 

आप किसी वाहन की खरीदारी कर सकते हैं। 

आज आध्यात्मिक यात्रा का योग बनेगा।

शुभ अंक- 9 

शुभ रंग- केसरिया

अंक 3

आपको अपने व्यवहार पर पूरा ध्यान देने की आवश्यकता है। 

आपकी किसी पुरानी गलती से पर्दा उठ सकता है। 

धार्मिक कामों के प्रति आपकी काफी रुचि रहेगी। 

अगर आप संतान के करियर को लेकर परेशान चल रहे थे, उस समस्या का हल होगा। 

निवेश में खुशखबरी सुनने को मिल सकती है।

शुभ अंक- 20

शुभ रंग-  लाल

अंक 4

आज आपको घर और नौकरी दोनों जगह सही तालमेल बनाना होगा। 

आपकी संवेदनशीलता आपको पुराने दिनों की याद करा सकती है। 

आप मानसिक रूप से बहुत सक्रिय हैं, इस लिए समस्याओं का समाधान आसानी से होगा। 

परिवार के सदस्यों का भरपूर साथ मिलेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। 

शुभ अंक- 52 

शुभ रंग- सिल्वर

अंक 5

आज निवेश में धन लाभ होने से आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। 

घर कोई नया वाहन आ सकता है। 

आपको जीवनसाथी के मन में चल रही उलझनों को लेकर बातचीत करनी पड़ सकती है। 

भाग्य आपका पूरा साथ देने वाला है। 

शुभ अंक- 2 

शुभ रंग- क्रीम

अंक 6 

बिजनेस में आपको पार्टनरशिप में नुकसान होगा। 

खर्चों के बढ़ने से मन परेशान हो सकता है। 

आप किसी लंबी दूरी की यात्रा पर जाने की प्लानिंग कर सकते हैं। 

बचत की योजनाएं सफल होंगी।

शुभ अंक- 25 

शुभ रंग- गुलाबी

अंक 7

आज भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। 

आत्मविश्वास में वृद्धि होने पर मन प्रसन्न रहेगा। 

नौकरीपेशा व्यक्तियों को मनचाही सफलता मिल सकती है। 

कोई पैतृक संपत्ति से जुड़ा मामला हल हो सकता है। 

घर के वरिष्ठ सदस्यों का सहयोग प्राप्त होगा। 

शुभ अंक- 9 

शुभ रंग- केसरिया

अंक 8

कार्यक्षेत्र में किसी नए प्रोजेक्ट का हिस्सा बन सकते है। 

नौकरी की तालाश कर रहे लोगों को अभी और मेहनत करनी होगी। 

धार्मिक यात्रा पर जा सकते हैं। 

जीवनसाथी के लिए आप कोई सरप्राइज गिफ्ट लेकर आएंगे। 

आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।

शुभ अंक-29 

शुभ रंग- गुलाबी

अंक 9

नौकरी में बदलाव की योजना बना रहे लोगों के लिए दिन अच्छा रहेगा। 

संतान पक्ष की ओर से आपको कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। 

घर में किसी महंगी वस्तु को लेकर आ सकते हैं। 

कारोबार में धन लाभ की प्राप्ति संभव है। 

शुभ अंक- 8

शुभ रंग- हरा

होलाष्टक आज़ से आरंभ, क्यों इन 8 दिन 

क्रूर हो जाते हैं ग्रह, जानें क्या करें क्या न करे!


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07 मार्च 2025 से प्रारंभ

होलाष्टक 2025 का शुभारंभ 7 मार्च से होगा और इसका समापन 13 मार्च को होलिका दहन के साथ होगा। 

इन आठ दिनों में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन या गृह प्रवेश नहीं किया जाता है। 

यह अवधि अशुभ मानी जाती है क्योंकि सभी ग्रह क्रूर अवस्था में होते हैं। 

आइए जानते हैं होलाष्टक का धार्मिक महत्व।


होलाष्टक 7 मार्च से शुरू होगा और 13 मार्च को होलिका दहन के साथ समाप्त होगा। 

इससे अगले दिन यानी 14 मार्च को रंग वाली होली मनाई जाएगी।

होलाष्टक के आठ दिन अलग अलग ग्रह क्रूर अवस्था में रहते हैं। 

अष्टमी तिथि के दिन चंद्रमा, नवमी तिथि के दिन सूर्य देव, दशमी तिथि के दिन शनि महाराज, एकादशी तिथि के दिन शुक्र देव, द्वादशी तिथि के दिन देवगुरु बृहस्पति, त्रयोदशी तिथि के दिन बुध, चतुर्दशी तिथि पर मंगल और पूर्णिमा पर राहु क्रूर हो जाते हैं। 

इन 8 दिनों में कोई भी नई वस्तु की खरीदारी भी नहीं की जाती है।


होलाष्टक में क्या करना चाहिए और क्या नहीं ?




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होलाष्टक में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए पूजा पाठ अधिक से अधिक करना चाहिए। 

ऐसी मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान भगवान विष्णु, नरसिंह भगवान और हनुमानजी की विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए। 

इसके अलावा इन आठों दिनों तक महामृत्युंजय मंत्र का जप भी करना चाहिए। 

साथ ही होलाष्टक के दौरान शादी, मुंडन, ग्रह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों को नहीं करना चाहिए। 

इस दौरान कोई भी दुकान, प्लॉट आदि संपत्ति की खरीदारी नहीं करनी चाहिए।


होलाष्टक को क्यों मानते हैं अशुभ


होलाष्टक को लेकर शिव पुराण में कथा वर्णित की गई है। 

कथा के अनुसार, तारकासुर का वध करने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह होने जरुरी थी। 

क्योंकि, उस असुर का वध शिव पुत्र के हाथ से होना था। 

लेकिन, देवी सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव तपस्या में लीन थे। 

सभी देवताओं ने भगवान शिव को तपस्या से जगाना चाहा। 

इस काम के लिए भगवान शिव और देवी रति को बुलाया गया। 

इसके बाद कामदेव और रति ने शिवजी की तपस्या को भंग कर दिया और भगवान शिव क्रोधित हो गए। शिवजी ने अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को भस्म कर दिया। 

जिस दिन भगवान शिव से कामदेव को भस्म किया उस दिन फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि थी। 

इसके बाद सभी देवताओं ने रति के साथ मिलकर भगवान शिव से क्षमा मांगी। 

भगवान शिव को मनाने में सभी को आठ दिन का समय लग गया। 

इसके बाद भगवान शिव ने कामदेव को जीवित होने का आशीर्वाद दिया। 

इस वजह से इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है।


मासिक दुर्गाष्टमी आज 


हिंदू धर्म में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि बहुत ही विशेष मानी जाती है।

ये तिथि माता दुर्गा को समर्पित की गई है। 

हर माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। 

इस दिन माता दुर्गा के व्रत और पूजन का विधान है। 

इस दिन विधि - विधान से माता का व्रत और पूजन करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। 

जीवन में धन वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 

साथ ही मां के आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।


कब है मासिक दुर्गाष्टमी ?


वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 6 मार्च को सुबह 10 बजकर 50 मिनट पर हो जाएगी। 

वहीं इस अष्टमी तिथि का समापन अगले दिन यानी 7 मार्च को सुबह 9 बजकर 18 मिनट पर होगा। 

हिंदू धर्म में उदया तिथि मानी जाती है। 

ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 7 मार्च को फाल्गुन माह की दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी।


मासिक दुर्गाष्टमी का महत्व


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हिंदू धर्म के अनुसार, मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत करने वाले व्यक्तियों के जीवन के सभी दुख समाप्त हो जाते हैं। 

इस दिन व्रत और पूजा करने वालों पर मां दुर्गा की विशेष कृपा होती है। 

इसके साथ ही, मां की कृपा से उनके घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। 

धन से संबंधित समस्याएं नहीं आतीं और जातक के अधूरे कार्य पूर्ण हो जाते हैं।


मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा विधि


मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।

इसके बाद मंदिर या पूजा स्थल की सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए, ताकि पूजा स्थल शुद्ध हो जाए।

इसके बाद लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर रखनी चाहिए।

इसके बाद जल से भरा कलश स्थापित कर धूप और दीपक जलाना चाहिए।

फिर मां दुर्गा को लाल चुनरी चढ़ाकर रोली और चावल से तिलक करना चाहिए. फिर उनको फूल चढ़ाने चाहिए।

मां दुर्गा को सोलह श्रृंगार का सामान चढ़ाना चाहिए।

फिर मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए।

मां दुर्गा को फल और मिठाई का भोग लगाना चाहिए।

दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।

अंत में मां दुर्गा की आरती के साथ पूजा का समापन करना चाहिए।


मासिक दुर्गाष्टमी व्रत के नियम


मासिक दुर्गाष्टमी पर घर खाली नहीं छोड़ना चाहिए।

सुबह से शाम तक कुछ नहीं ग्रहण करना चाहिए। 

संभव हो तो फल और दूध ग्रहण कर सकते हैं।

शाम को विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए।

सूर्यास्त के बाद ही व्रत समाप्त करना चाहिए।

सात्विक भोजन से ही व्रत का पारण करना चाहिए।

|| भगवान शिव को अर्पित सामग्री ||





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भगवान शिव की पूजा में शिवलिंग अभिषेक और उस पर अर्पित की जाने वाले चीजें अलग - अलग महत्व रखती हैं। 

आइए जानें उन चीजों के बारे में जो भगवान शिव को है बेहद प्रिय और उनका महत्व!
 
(1) - जल

मंत्रों का उच्चारण करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाने से हमारा स्वभाव शांत और स्नेहमय होता है।

(2) - दूध -

शिव - शंकर को दूध अर्पित करने से स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है और बीमारियां दूर होती हैं।

(3) - दही -

पार्वतीपति को दही चढ़ाने से स्वभाव गंभीर होता है और जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होने लगती हैं।

(4) - चीनी ( शक्कर )

शक्कर से अभिषेक करने से सुख और समृद्धि बढ़ती है। 

ऐसा करने से मनुष्य के जीवन से दरिद्रता चली जाती है।

(5) - शहद

भोलेनाथ को शहद चढ़ाने से हमारी वाणी में मिठास आती है।

(6) - घी

भगवान शंकर पर घी अर्पित करने से हमारी शक्ति बढ़ती है।

(7) - चंदन

शिवजी को चंदन चढ़ाने से हमारा व्यक्तित्व आकर्षक होता है, इससे हमें समाज में मान - सम्मान और यश मिलता है।

(8) - बिल्वपत्र
 
बिल्वपत्र के पान में अधिकतम ऑक्सीजन की मात्रा होती हे !

ॐ नम: शिवाय मन्त्र बोलते हुए शिवजी पर बिल्वपत्र चढ़ाते हुए हमारे श्वसन तंत्र से ज्यादातर  दूषित वायु, नकारत्मक ऊर्जा ( कार्बन डायोक्साइड ) बाहर निकलती हे और शिवमंदिर में अभिषेक किये बिल्वपत्र को छूने से भी शुद्ध ऑक्सीजन की मात्रा ज्यादा मिलती हे जिससे हरेक के मन , बुद्धि को सुकून मिलता रहता हे ।

परिणाम स्वरूप नकारत्मक ऊर्जा,डर,भय,तामस गुण दूर होते रहते हे । 

यह विज्ञान ने भी स्वीकार किया हे !

               || ॐ नमः शिवाय ||


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कैसे जानें अपना मुख्य अंक ( मूलांक ) ? 


अंक ज्योतिष साप्ताहिक भविष्यफल जानने के लिए अंक ज्योतिष मूलांक का बड़ा महत्व है। 
मूलांक जातक के जीवन का महत्वपूर्ण अंक माना गया है। 

आपका जन्म महीने की किसी भी तारीख़ को होता है, उसको इकाई के अंक में बदलने के बाद जो अंक प्राप्त होता है, वह आपका मूलांक कहलाता है। 

मूलांक 1 से 9 अंक के बीच कोई भी हो सकता है, उदाहरणस्वरूप - आपका जन्म किसी महीने की 10 तारीख़ को हुआ है तो आपका मूलांक 1 + 0 यानी 1 होगा।

अंक ज्योतिष का हमारे जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि सभी अंकों का हमारे जन्म की तारीख़ से संबंध होता है। 

नीचे दिए गए लेख में हमने बताया है कि हर व्यक्ति की जन्म तिथि के हिसाब से उसका एक मूलांक निर्धारित होता है और ये सभी अंक अलग - अलग ग्रहों द्वारा शासित होते हैं। 

जैसे कि मूलांक 1 पर सूर्य देव का आधिपत्य है। 

चंद्रमा मूलांक 2 का स्वामी है। 

अंक 3 को देव गुरु बृहस्पति का स्वामित्व प्राप्त है, राहु अंक 4 का राजा है। अंक 5 बुध ग्रह के अधीन है। 

6 अंक के राजा शुक्र देव हैं और 7 का अंक केतु ग्रह का है। शनिदेव को अंक 8 का स्वामी माना गया है। 

अंक 9 मंगल देव का अंक है और इन्हीं ग्रहों के परिवर्तन से जातक के जीवन में अनेक तरह के परिवर्तन होते हैं।

मूलांक 1

( अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 1, 10, 19, 28 तारीख़ को हुआ है )

आमतौर पर इस मूलांक वाले जातक बहुत बुद्धिमान होते हैं और जीवन में सफलता प्राप्‍त करने में सक्षम होते हैं।

प्रेम जीवन: आप अपने पार्टनर के प्रति रोमांटिक भावनाओं को व्‍यक्‍त कर सकते हैं। 

ऐसा आपके अंदर मौजूद सेंस ऑफ ह्यूमर या हंसी - मज़ाक करने वाले स्‍वभाव की वजह से संभव हो पाएगा।

शिक्षा: छात्र जो भी पेशेवर शिक्षा या डिग्री ले रहे हैं, उसमें उन्‍हें उच्‍च अंक प्राप्‍त होंगे।

पेशेवर जीवन: इस सप्‍ताह काम के मामले में समय आपके पक्ष में रहने वाला है। 

व्‍यापारी अपने प्रतिद्वंदियों पर हावी रहेंगे और इस तरह वे अपने प्रतिस्‍पर्धियों को कड़ी टक्‍कर देने में सक्षम होंगे।

सेहत: स्‍वास्‍थ्‍य की बात करें, तो इस सप्‍ताह आपकी सेहत काफी अच्‍छी रहने वाली है। 
आपके अंदर जोश और ऊर्जा बढ़ने की वजह से ऐसा हो सकता है।

उपाय: आप रोज़ आदित्‍य हृदयम स्‍तोत्र का पाठ करें।

मूलांक 2

( अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20, 29 तारीख़ को हुआ है )

इस मूलांक वाले जातकों के लिए यह सप्‍ताह औसत रहने वाला है। 

इस समय आपकी रचनात्‍मक कार्यों में रुचि बढ़ सकती है और आप इसे और अधिक निखारने का प्रयास कर सकते हैं।

प्रेम जीवन: इस समय आपके और आपके पार्टनर के बीच दूरियां आने की आशंका है। 
अहंकार से संबंधित समस्‍याओं के कारण ऐसा हो सकता है।

शिक्षा: इस दौरान शिक्षा के क्षेत्र में अच्‍छा प्रदर्शन करने के लिए आपको पढ़ाई पर अधिक ध्‍यान देने की ज़रूरत है। 

यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आपको उच्‍च अंक प्राप्‍त करने में दिक्‍कत हो सकती है।

पेशेवर जीवन: इस सप्‍ताह नौकरीपेशा जातकों को औसत सफलता मिलने के योग हैं। 

वहीं व्‍यापारियों को बेहतर योजना बनाने और अपने बिज़नेस पर नियंत्रण रखने की ज़रूरत है।

सेहत: इस समय मूलांक 2 वाले जातकों को त्‍वचा से संबंधित समस्‍या और अन्‍य कोई एलर्जी होने की आशंका है। 

इसकी वजह से आपको अपने स्‍वास्‍थ्‍य को बनाए रखने में दिक्‍कत आ सकती है।

उपाय: आप रोज़ 108 बार ‘ॐ सोमाय नमं:” मंत्र का जाप करें।

मूलांक 3

( अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 3, 12, 21, 30 तारीख़ को हुआ है )

इस मूलांक वाले जातक आमतौर पर खुले विचार वाले होते हैं। 

इनकी अध्‍यात्‍म या आध्‍यात्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी और ये आसानी से इसे अपना सकेंगे।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आप किसी नए रिश्‍ते की शुरुआत कर सकते हैं। 

हालांकि, आपको इस समय समझदारी और बुद्धिमानी से काम लेने की सलाह दी जाती है।

शिक्षा: जो छात्र उच्‍च शिक्षा के लिए मास्‍टर और पीएचडी डिग्री लेने की सोच रहे हैं, उनके लिए यह सप्‍ताह काफी अच्‍छा रहने वाला है।

पेशेवर जीवन: करियर के मामले में यह सप्‍ताह बहुत शानदार रहने वाला है। 

यदि आप व्‍यवसाय करते हैं, तो आपके लिए मल्‍टी लेवल नेटवर्किंग बिज़नेस करना फायदेमंद रहेगा एवं आप अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

सेहत: इस सप्‍ताह आप योग और ध्‍यान जैसी आध्‍यात्मिक या शारीरिक क्रियाएं कर सकते हैं। 
यह आपके मन और शरीर दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

उपाय: बृहस्‍पतिवार के दिन बृहस्‍पति ग्रह को पीले रंग के पुष्‍प अर्पित करें।

मूलांक 4

( अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 4, 13, 22, 31 तारीख़ को हुआ है )

इस सप्‍ताह मूलांक 4 वाले जातक अधिक भावुक हो सकते हैं और इस वजह से कभी - कभी इन्‍हें महत्‍वूपर्ण निर्णय लेने में दिक्‍कत हो सकती है।

प्रेम जीवन: इस समय आप कंफ्यूज़ रहने वाले हैं। 

आपके और आपके जीवनसाथी के बीच विश्‍वास में कमी आने के संकेत हैं। 

इस के कारण आपका रिश्‍ता कमज़ोर हो सकता है।

शिक्षा: इस सप्‍ताह आप जो कुछ भी पढ़ रहे हैं, उसे याद रखने में दिक्‍कत हो सकती है। 

इस से आप पीछे रह सकते हैं और पढ़ाई में अपने कौशल का प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे।

पेशेवर जीवन: इस समय नौकरीपेशा जातकों के ऊपर काम का दबाव बढ़ने वाला है। 

इस वजह से आपको अपने करियर में उच्‍च सफलता मिलने की संभावना कम है। 
वहीं व्‍यापारियों को प्रतिस्‍पर्धा बढ़ने की वजह से अधिक मुनाफा कमाने में दिक्‍कत आ सकती है।

सेहत: आपको एलर्जी के कारण त्‍वचा से संबंधित समस्‍याएं हो सकती हैं। 

इस सप्‍ताह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमज़ोर होने की वजह से ऐसा हो सकता है। 
आप असहज महसूस करेंगे।

उपाय: आप रोज़ 22 बार ‘ॐ राहवे नम:’ मंत्र का जाप करें।

मूलांक 5

( अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 5, 14, 23 तारीख़ को हुआ है )

मूलांक 5 वाले जातक बहुत बुद्धिमान होते हैं और ये बेहद कुशलता से अपनी बुद्धिमानी का प्रयोग करते हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आप अपने पार्टनर के साथ हंसी - मज़ाक और खुशमिज़ाज़ तरीके से पेश आएंगे। इससे आपके घर का माहौल अच्‍छा बना रहेगा।

शिक्षा: आप अपनी बुद्धिमानी का परिचय देंगे और उच्‍च अंक्र प्राप्‍त करने में सक्षम होंगे। 

इसके साथ ही आपको इस सप्‍ताह सफलता मिलने के भी योग हैं। 

प्रतियोगी परीक्षा में भी आपको अच्‍छे परिणाम मिलने के आसार हैं।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातक इस सप्‍ताह बेहतरीन प्रदर्शन देकर सफलता प्राप्‍त करने में सक्षम होंगे। 

आपकी लोकप्रियता में इज़ाफा देखने को मिलेगा। 

व्‍यापारियों के लिए उच्‍च मुनाफा कमाने के लिए अनुकूल समय है।

सेहत: इस सप्‍ताह आप ऊर्जा और उत्‍साह से भरपूर महसूस करेंगे और इसका सकारात्‍मक असर आपकी सेहत पर भी पड़ने वाला है। 

आपको कोई बड़ी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या परेशान नहीं करेगी।

उपाय: आप रोज़ 41 बार ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें।

मूलांक 6

( अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 6, 15, 24 तारीख़ को हुआ है )

इस सप्‍ताह मूलांक 6 वाले जातक खुशमिजाज़ स्‍वभाव के रहने वाले हैं और आप इस समय आनंद एवं सुख की तलाश में रह सकते हैं। 

इस दौरान आप अधिक यात्राएं कर सकते हैं।

प्रेम जीवन: इस समय आप अपने पार्टनर के साथ रिश्‍ते को मज़बूत बनाए रखने में सफल होंगे। 

इससे आपको अपने जीवनसाथी के साथ अपने जीवन के स्‍तर को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

शिक्षा: आप प्रोफेशनल स्‍टडीज़ जैसे कि विजुअल कम्‍युनिकेशन इंजीनियरिंग और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग आदि में अच्‍छा प्रदर्शन करेंगे। 

इस सप्‍ताह आप पढ़ाई को लेकर तर्कशील रहेंगे।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातकों के लिए यह सप्‍ताह अच्‍छा रहने वाला है। 

आप अपने कार्यों को आसानी से पूरा कर पाएंगे। 

वहीं व्‍यापारी उच्‍च मुनाफा कमाने और चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे।

सेहत: मज़बूत इच्‍छाशक्‍ति और दृढ़ता की वजह से इस सप्‍ताह आपका स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहने वाला है।

उपाय: आप रोज़ 33 बार ‘ॐ शुक्राय नम:’ मंत्र का जाप करें।

मूलांक 7 

( अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 7, 16, 25 तारीख़ को हुआ है )

इस मूलांक वाले जातकों की गूढ़ विज्ञान और दर्शनशास्त्र में अधिक रुचि होती है। 

ये जातक इन क्षेत्रों में अपने कौशल को और अधिक विकसित कर सकते हैं। 
आपके लिए धार्मिक यात्राओं के योग बन रहे हैं।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह आपके और आपके पार्टनर के बीच दूरियां आ सकती हैं। 

आप दोनों के बीच अलगाव की स्थिति उत्‍पन्‍न हो सकती है। 

इस से आपकी समस्‍याओं का समाधान निकाल पाना और भी मुश्किल हो जाएगा। 
आपके रिश्‍ते में खुशियों के कम होने की आशंका है।

शिक्षा: यदि आप धर्म, कानून या प्रोफेशनल स्‍टडीज़ की पढ़ाई कर रहे हैं, तो अब ध्‍यान केंद्रित न कर पाने के कारण आप उच्‍च अंक प्राप्‍त करने में पीछे रह सकते हैं। 

मेडिटेशन करने से आपको लाभ होगा।

पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातकों के ऊपर काम का दबाव बढ़ सकता है। 

इसके कारण आपके प्रदर्शन में भी गिरावट आने की आशंका है। 

यदि आप व्‍यवसाय करते हैं, तो प्रतिद्वंदियों से कड़ी प्रतिस्‍पर्धा मिलने की वजह से आपके मुनाफे में कमी आ सकती है।

सेहत: इस सप्‍ताह आपकी सेहत ज्‍यादा अच्‍छी नहीं रहने वाली है क्‍योंकि आपको स्किन रैशेज़ की वजह से परेशानी हो सकती है। 

आपको इसका इलाज करवाने की सलाह दी जाती है।

उपाय: मंगलवार को केतु ग्रह के लिए यज्ञ - हवन करें।

मूलांक 8 

(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 8, 17, 26 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 8 वाले जातक अपने काम को अधिक पेशेवर तरीके से कर सकते हैं। 

ये अपने काम को पूरे फोकस और ध्‍यान से करेंगे।

प्रेम जीवन: इस सप्‍ताह कंफ्यूज़ रहने की वजह से आप अपने पार्टनर के प्रति अपने प्रेम को दिखाने में असमर्थ रह सकते हैं। 

इस कारण से आपको अपने रिश्‍ते में सुख - शांति बनाए रखने में दिक्‍कत आ सकती है।

शिक्षा: इस समय छात्रों की पढ़ाई में से रुचि हट सकती है और इसकी वजह से विद्यार्थियों को पढ़ाई में कम अंक एवं औसत परिणाम मिलने की संभावना है। 

इस सप्‍ताह आपको प्रतियोगी परीक्षा में हिस्‍सा न लेने की सलाह दी जाती है क्‍योंकि इसमें आपके सफल होने की संभावना बहुत कम है।

पेशेवर जीवन: कार्यक्षेत्र में आपकी प्रतिष्‍ठा में कमी आ सकती हैं एवं आपकी कड़ी मेहनत को अनदेखा किया जा सकता है। 

इस वजह से आप उच्‍च परिणाम प्राप्‍त करने में असफल रहेंगे। 

वहीं व्‍यपारियों को अपने प्रतिद्वंदियों से हार का सामना करना पड़ सकता है।

सेहत: इस सप्‍ताह मूलांक 8 वाले जातकों को पैरों और जांघों में दर्द की शिकायत हो सकती है।

तनाव और इम्‍युनिटी के कमज़ोर होने के कारण ऐसा हो सकता है।

उपाय: आप शनिवार के दिन शनि देव के लिए यज्ञ - हवन करें।

मूलांक 9 

( अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 9, 18, 27 तारीख़ को हुआ है )

इस मूलांक वाले जातक सीधे - सादे और सिद्धांतों पर चलने वाले होते हैं।
 
ये स्‍नेह और प्‍यार की तलाश में रहेंगे एवं रिश्‍तों को मज़बूत करने की ओर काम करेंगे।

प्रेम जीवन: इस समय आप अपने मज़ाकिया स्‍वभाव से अपने पार्टनर का ख्‍याल रखेंगे। 

इस की वजह से आप दोनों का रिश्‍ता मज़बूत होगा।

शिक्षा: इस सप्‍ताह आप पढ़ाई में होशियार रहेंगे और पेशेवर होकर पढ़ाई करेंगे। 

इससे आपको अधिक अंक प्राप्‍त करने में सफलता मिलेगी।

पेशेवर जीवन: कार्यक्षेत्र में आप प्रगति करेंगे और आपको उच्‍च परिणाम प्राप्‍त होंगे। 

इससे आपकी उत्‍कृष्‍टता का पता चलेगा। 

व्‍यापारियों को अच्‍छा मुनाफा कमाने का मौका मिलेगा। 

इन्‍हें नया व्‍यापार शुरू करने का मौका भी मिल सकता है।

सेहत: इस समय आप शारीरिक रूप से स्‍वस्‍थ महसूस करेंगे। 

ऐसा आपकी इम्‍युनिटी के मज़बूत रहने की वजह से हो सकता है। 

आप इस सप्‍ताह ऊर्जा से भरपूर रहने वाले हैं।

उपाय: आप मंगलवार के दिन मंगल ग्रह के लिए यज्ञ-हवन करें।
ज्योतिषी पंडारामा प्रभु राज्यगुरु ऑन लाइन / ऑफ लाइन ज्योतिषी

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